हम में से बहुत से लोगो को ये जानने की हमेशा जिज्ञाषा रहती है की इंसान के मरने के बाद क्या होता है , और लोग ये जानने का बहुत प्रयत्न भी करते है।
हिन्दू धर्म ग्रंथो के अनुसार एक इंसान की आत्मा उसके मरने के बाद उसके इस जन्म में किये गए कर्मो के अनुसार अपना अगला जीवन व्यतीत करती है।
हिन्दू धर्म ग्रंथो में लिखा गया है की , मनुष्य लोक के ऊपर भी और कई लोक है, जो क्रमानुसार है
१ – मनुष्य लोक
२ – पितृ लोक
३ – सूर्य लोक
४ – स्वर्ग लोक
५ – वैकुण्ठ लोक
ये पांचो लोक इंसान को उसके इस जीवन में किये गए कर्मो के अनुसार उसकी मृत्यु के बाद मिलते है। हम में से बहुत से लोग अपनी सोच को बस स्वर्ग लोक तक ही सीमित रखते है।
इन सब में सबसे प्रभावशाली वैकुण्ठ लोक है। स्वर्ग लोक में जो लोग जाते है उनको एक निश्चित समय के लिए वंहा रखा जाता है। वो समय अंतराल पूरा होने के बाद उनको वापिस इस संसार में जन्म लेना परता है , लेकिन वैकुण्ठ लोक में ऐसा कुछ नहीं है।
वैकुण्ठ लोक में जाकर इंसान जान – मृत्यु के बंधन से मुक्त हो जाता है। वैकुण्ठ लोक में सिर्फ वही लोग जाते है जिन्होंने अपने जीवन में बहुत से अच्छे कर्म किये हो या फिर देवताओ की आराधना कर के वो इस जन्म – मृत्यु के बंधन से मुक्त हो गया हो।
पितृ : –
अभी हम बात करेंगे पितृ लोक और पितृ के बारे में की ये कैसी आत्माये है , और ये कैसे इस लोक में आते है।
पितृ लोक मनुष्य लोक के ऊपर होता है। इस लोक में वो आत्माए जाती है जिन्होंने अपने जीवन में कुछ अच्छे कर्म किये हो। ये पितृ देव वास्तव में अपने पूर्वजो की आत्माए होती है जो हमारी सहायता और हमारा मार्गदर्शन करती रहती है समय – समय पर।
ये पितृ देव हम लोगो पर हमेशा नजर रखे हुए होते है , जब भी हम कुछ गलत करने जाते है ये हमें किसी ना किसी तरीके से कुछ ऐसे संकेत देते है की हमें ये काम नहीं करना चाहिए ये हमारे लिए गलत हो सकता है।
समय – समय पर इनकी पूजा की जाती है। हिन्दू धर्म में अमावस्या तिथी को इनकी आराधना की जाती है। जैसे मनुष्य मनुष्य लोक में रहता है वैसे ही ये पितृ देव पितृ लोक में रहते है।
ऐसे बहुत से उदहारण है जिनमे इनके सहायता करने के बारे में बताया जाता है। ये इंसान की सहायता करते है लेकिन इनकी भी कुछ शर्ते होती है।
श्राद्ध पक्ष पूरा इन्ही को अर्पण रहता है। उस समय इनको विशेष रूप से याद किया जाता है।
शहीद : –
जैसे हिन्दू धर्म में हमारे पूर्वजो की आत्माओ को पितृ कहा जाता है , वैसे ही इस्लाम धर्म में पूर्वजो की आत्माओ को शहीद कहा जाता है।
इनकी भी आराधना की जाती है और वैसे ही समय समय पर इनको याद किया जाता है।
इस्लाम के अनुसार शहीद उनको कहा जाता है जो खुदा के धर्म का गवाह रहता है और उनके दिखाए गए रस्ते पर चलता है। ये शहीद किसी का भी बिना किसी गलती के उनको नुकसान नहीं पहुंचाते है।
आज में आपको इनके बारे में एक ऐसी सच्ची घटना के बारे में बताने जा रहा हूँ जो की शत – प्रतिशत सत्य है। जिनके साथ ये घटना हुयी थी उनके परिवार वाले भी आज भी कई बार इस घटना का जिक्र करते हुए मिल जाते है।
धोरो के प्रदेश राजस्थान में एक बहुत ही खूबसूरत जगह जो पुरे संसार में अपने खूबसूरती का कारन प्रशिद्ध है। राजस्थान की इस जगह का नाम हं शेखावाटी, शेखावाटी को वीरभूमि भी कहा जाता है। पुरे संसार ने यंहा के सैनिको का लोहा मन है। इसी शेखावाटी में एक शहर है जो अपने हवेलियों के कारन विश्वविख्यात है।
इसी शहर में आज से ३० साल पहले १९९० के आस-पास एक दुकानदार हुआ करते थे जिनकी मिठाई की दूकान हुआ करती थी।
वो एक साधारण से परिवार से थे उनके पास इतने ज्यादा पैसे नहीं थे की वो अपने परिवार का अच्छे से पालन-पोषण कर सके।
इसी कारन से वो अपनी दूकान पर बहुत मेहनत करते थे, जब रात को सारा बाजार बंद हो जाता था तब वो रात को बहुत देर को अपनी दूकान बंद करते थे।
ऐसे ही एक साधारण रात को जब सारा बाजार बंद हो चूका था और वो भी अपने दूकान को बंद करने ही वाले थे। चारो तरफ एक अजीब से तरीके का सन्नाटा पसरा हुआ था। वो अपनी दुकान को बंद करने ही वाले थे की अचानक उन्हें एक आवाज सुनाई दी की कोई उन्हें पुकार रहा है , जब उन्होंने देखा था वहाँ पर एक सफ़ेद कपड़े पहने हुए इंसान खड़ा था जिसको देख कर दुकानदार को समझ आ गया की ये कोई इंसान नहीं बल्कि कोई और ताकत है।
उस आदमी ने उनसे जलेबी के बारे में पूछा, दूकानदार ने उसे जलेबी दे दी और उसकी कीमत में उस इंसान ने उस दुकानदर को अच्छी कीमत दी और साथ में उसके बारे में किसी को भी बताने से आगाह कर दिया और दूकानदार ने भी किसी को भी ना बताने का वचन दे दिया।
उस दिन के बाद हर रोज रात को जब सारा बाजार बंद हो जाता था तब वो सफ़ेद कपड़े पहने हुए आदमी आता और उस दुकानदार से जलेबी लेता और उसकी अच्छी कीमत उसको देकर जाता।
ऐसे ही दिन गुजरते गए और उस दूकान के चर्चे चारो तरफ फ़ैल गए वो दूकान अच्छे से चलने लग गयी और लोगो ने उससे पूछना शुरु कर दिया की इतने काम समय में उसने इतनी प्रगति कैसे कर ली।
लेकिन कहते हं ना की जब इंसान का बुरा वक्त शुरू होता हं तो वो पहले वो काम करता है जो उसे बिलकुल नहीं करना चाहिए।
ऐसे ही एक दिन किसी के पूछने पर उस दुकानदार ने उस सफ़ेद कपड़े वाले इंसान उस शहीद के बारे में बता दिया।
उस दिन रात को जब दुकानदार उसका इन्तजार कर रहा था तो वो नहीं आया। दुकानदार को समझ में आ गया की उससे क्या गलती हुयी है, उस दिन के बाद से फिर कभी वो शहीद उस इंसान को नहीं दिखाई दिया।
इन सब ताकतों की यही शर्ते रहती हं की जब तक ये आपकी सहायता करेंगे आपको इनके बारे में किसी को भी नहीं बताना है
ऐसी ही और कई घटनाये है जो इनके अस्तित्व के बारे में बताती है।
घन्यवाद।