क्या मंदिर में रात को पूजा करने वाला अश्वत्थामा था??|Kya vo Ashwatthama Tha?|Mahabharat| Hindi

Real Horror Stories के अगले क्रम में हम आपके लिए लेकर आए हैं आज एक डर और रोमांच से भरी हुई एक सच्ची कहानी।

यह घटना हैं उत्तरप्रदेश के चंबल के पास के बीहड़ों में बसे एक छोटे से गांव की, इस गांव के आस पास घना जंगल था जिसके कारण कोई भी बाहरी इंसान इस इलाके में आने से डरता था।
एक समय में इस क्षेत्र में चंबल के कुख्यात डाकुओं का राज हुआ करता था। यह क्षेत्र कई हत्याओं का गवाह हैं। इसी चंबल के किनारे कई छोटे छोटे गांव और ढाणियां बसी हुई हैं।

Rat me Temple me Kon Tha??

एसे ही एक छोटे से गांव के रहने वाले एक चरवाहे के साथ ऐसी एक घटना हुई थी जिसे सामान्य घटना कहा जाना तो बिल्कुल उचित नहीं होगा। उस घटना के बाद से उस चरवाहे ने जंगल में अपने जानवरों को ले जाना ही छोर दिया।

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चरवाहे का नाम गोपाल था। वह गांव के कुछ मवेशियों को जंगल में ले जाता था उसी से उसका गुजारा चलता था।
चम्बल के किनारे पर कई डाकू अक्सर आया करते थे पर सामान्य चरवाहे जो वहां अक्सर मवेसी चराने आते थे उनको वह डाकु भी कुछ नही कहते थे। 
गोपाल कई बार अपने मवेशियों को लेकर दूर चला जाता था, जिसके बाद उसे वहां से वापिस अपने गांव की तरफ आने में देर रात हो जाती थी।
एक बार एसे ही वह नदी के किनारे किनारे जानवरों को काफी दूर तक ले गया। जब उसे इस बात का आभास हुआ तब तक तो अंधेरा हो चुका था।
उसने वापिस गांव की तरफ जाने का सोचा लेकिन तब तक तो रात की गहराई में जंगल का माहोल बदलने लगा था। बीहड़ के अंदर से जंगली जानवरों की आवाज आने लगी थीं।
रात में कई जंगली जानवर अपने शिकार के लिए बाहर आने की तैयारी करने लगे थे।
गोपाल कई बार एसी परिस्थितियों में पहले भी फंस चुका था और वह उनसे निपटना भी जनता था। गोपाल नही जानता था की इस बार वह ऐसी एक घटना का साक्ष्य बनने वाला हैं जो उसने न तो कभी पहले देखी हैं और ना ही कभी कोई देख पाएगा शायद।
उसने अपने जानवरो को वापिस गांव की तरफ मोड़ दिया, और अपने गांव की ओर जाने लगा।
रात में वह अपने साथ एक मशाल जलाकर चलता था ताकि अंधेरा होने के बाद कोई जानवर आग के डर से उस पर ओर उसके जानवरो पर हमला न करे।
आज रात बहुत ज्यादा हो चुकी थी और वह जंगल में गांव से बहुत ज्यादा दूर आ चुका था इसलिए उसे घर पहुंचने में आज बहुत देर होने वाली थी।

Real Horror Stories Indian In Hindi

जंगल के अंदर ठंडी हवा चल रही थीं। रात गहराने के कारण उसे अब भूख भी लगने लगी थी, गांव अभी बहुत दूर था इसलिए गोपाल ने गाय का दूध निकल पीने का निर्णय लिया।
आसमान में जब तारो को देखा तो पता लगा की आधी रात से ज्यादा का समय बीत चुका हैं और अभी भी गांव पहुंचने में करीबन 2 मील का रास्ता बाकी हैं।
गोपाल ने वहीं बीहड़ में रुककर एक गाय का दूध अपने साथ ले बर्तन में निकाला और उसे पीने के लिए एक तरफ रखकर पास ही नदी में हाथ धोने के लिए चला गया।
हाथ मुंह धोकर वापिस आकर जब गोपाल ने देखा तो उसका दूध उस बर्तन में नही था, ऐसा लग रहा था की जेसे बर्तन से किसी ने दूध निकाल लिया हो, क्योंकि अगर कोई जानवर का छोटा बच्चा दूध पीता तो बर्तन में चारो तरफ दूध के छींटे लगे होते, परंतु बर्तन के अंदर ऐसा कुछ नही था। 
रात बहुत ज्यादा हो चुकी हैं, जंगल हैं शायद कुछ ओर चीज होगी, यह सोचकर गोपाल अपने जानवरो को हांककर उस जगह से निकलने की कोशिश करने लगा।
नदी के किनारे किनारे अपने जानवरो को वह गांव की तरफ ले जाने लगा।कुछ ही दूरी पर नदी के किनारे पर एक मंदिर था, यह मंदिर भगवान शिव का था। इस मंदिर की अनुमानित उम्र करीबन 800 साल हैं। नदी की किनारे एक टीले पर घने जंगल में यह मंदिर था। लोगो की आस्था थी कि इस मंदिर में जो सच्चे मन से भगवान महादेव से जो कुछ मांगता हैं उसे वह मिल जाता हैं।
गोपाल को पूछे बीहड़ में किसी का साया मंदिर की तरफ जाता हुआ दिखाई दिया। इतनी रात में ये कोन हो सकता हैं जो मंदिर में जा रहा हैं।
गोपाल को जिज्ञासा थी की इस व्यक्ति के बारे में जानना चाहिए की आखिर वह इतनी देर रात यहां बीहड़ में क्या कर रहा हैं।
गोपाल को ध्यान से देखने पर पता चला की उस व्यक्ति की लम्बाई करीबन 8 फुट से ऊपर हैं। उसके शरीर से एक अलग सा ही प्रकाश दूर से दिखाई दे रहा था। देखने से ऐसा लग रहा था की उसके शरीर से कुछ पानी जैसा टपक रहा हैं।
गोपाल उसके पीछे छुपकर गया और उसने देखा की वह लंबा व्यक्ति मंदिर में जाकर महादेव के प्रतीक शिवलिंग की पूजा करने लगा। उसने पहले शिवलिंग का जल से अभिषेक किया फिर दूध से को बिल पत्र चढ़ाकर उनकी पूजा अर्चना की।
गोपाल एकटक बस उसे पूजा करते हुए देखे जा रहा था।वह व्यक्ति पूजा में शुद्ध संस्कृत के श्लोक का पाठ कर रहा था। वह व्यक्ति का पूजा कर के वापिस जाने के लिए घुमा तो गोपाल के होश उड़ गए। उसका चेहरा इतना भयानक था की गोपाल उसे देखते ही बेहोश सा होने लगा।
कुछ ही क्षणों में वह आदमी गोपाल की आंखों में सामने से कहीं गायब हो गया। गोपाल यह सब देखकर बहुत ज्यादा डर गया था।

क्या वो अश्वत्थामा था??

वह जल्दी से काम की तरफ गया और जानवरों को गांव में ले जाकर उन सबके घरों में छोड़ दिया और अपने घर जाकर चुपचाप सो गया।
 सुबह जब गोपाल उठा तो उसके घर के बाहर गांव के लोगों की भीड़ थी, वे लोग उससे पूछ रहे थे कि कल रात को ऐसा क्या हुआ था??
 कि उसे आने में इतनी देर हो गई थी। गोपाल ने उन्हें बताया कि कल रात को वह जंगल में मवेशियों को चराते चराते नदी के किनारे बहुत दूर निकल चुका था, इसलिए वापस आने में उसे रात को बहुत ज्यादा देर हो गई थी।
 हमारे गांव के पास में ही नदी के किनारे पर जो शिवजी का मंदिर है उसमें रात में मैंने एक ऐसे 8 फुट के व्यक्ति को देखा जिसका चेहरा बहुत ही ज्यादा भयानक था और वह भगवान शिव जी का अभिषेक कर रहा था और पूजा-अर्चना कर रहा था, उसका चेहरा देखने के बाद में बहुत ज्यादा डर गया था और जल्दी से मैं गांव में आकर सो गया था।
 कुछ गांव वालों ने उसे बताया कि उन्होंने भी उस साए को पहले भी कई बार वहां पर देखा है और वह सुबह जल्दी आ कर शिवजी की पूजा अर्चना करके चला जाता है।
 कुछ लोगों का मानना था कि वह महाभारत कालीन गुरु द्रोणाचार्य का पुत्र अश्वत्थामा था जिसे भगवान श्रीकृष्ण ने अमृत्व का अभिशाप दिया था, वही  कुछ अन्य लोगों का मानना था कि वह यहां का एक पुराना राजा था जो अपने पापों का प्रायश्चित करने के लिए हर रोज शिव मंदिर के अंदर आता है।
 वह शक्ति चाहे जो कुछ हो परंतु 8 फुट तक के व्यक्ति आज के समय में बहुत ही ज्यादा दुर्लभ है। इस घटना के बाद गोपाल ने जंगल में मवेशियों को ले जाना ही बंद कर दिया है। वह गांव में रहकर मजदूरी करके अपना पेट पालता है।
 नदी के किनारे आने जाने वाले कई लोगों ने अक्सर देर रात को उस शिव मंदिर के अंदर पूजा करते हुए किसी भयानक इंसान को देखा है जो देखने में इस दुनिया का तो नहीं लगता परंतु वह वहां पर भगवान महादेव की पूजा-अर्चना करने जरूर आता है।
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