आज की कहानी हैं हरियाणा के रहने वाले जगजीवन जी और उनके परिवार की। हरियाणा के एक छोटे से गांव में जगजीवन जी अपने परिवार के साथ रहते थे। इनके परिवार में ये खुद मुखिया इनकी वृद्ध माता जी, जगजीवन जी की पत्नी और दो बेटे एवं एक सुंदर सी बेटी थी।
जगजीवन जी गांव में रहते थे वो उनका खेत गांव से थोड़ी सी दूरी पर था। जगजीवन जी और उनके परिवार का भरण पोषण करने वाला उनका खेत ही था जिसमें पूरा परिवार साल भर जी तोड़ मेहनत करता था।
Lady Ghost In Fields
बड़ा बेटा अब आगे की पढ़ाई करने के लिए शहर चला गया था। उनकी बेटी ने गांव की स्कूल से 12 वि तक की पढ़ाई की थी उसके बाद आगे जगजीवन जी ने उसे पढ़ने शहर भेजा नही।
सबसे छोटे वाला उनका बेटा अभी 10 वि कक्षा में पढ़ाई कर रहा था और गांव के स्कूल में ही पढ़ाई करता था। जगजीवन जी के बच्चों के नाम कुछ इस प्रकार थे
राजू (बड़ा बेटा)
सुनीता (बेटी)
सुनील(छोटा बेटा)
जैसा कि आपको पता ही हैं हम अपनी हर कहानी में असली नाम और स्थान परिवर्तन कर देते हैं गोपनीयता के कारण।
सुनील गांव के स्कूल से ही पढ़ाई कर रहा था तो अक्सर अपने माता पिता का खेत में भी हाथ बंटा देता था।
एक दिन वह स्कूल में गुरुजी से घर बैठे कॉलेज की पढ़ाई पुरी करने के तरीके के बारे में सुन कर आया। सुनील ने घर आकर अपनी बहन को उसके बारे में बताया की केसे वो अपनी आगे की पढ़ाई बिना कॉलेज जाए कर सकती हैं और इसके लिए तो पिताजी भी हां कर देंगे।
कुछ लोग पुरानी सोच होने के कारण लोक लाज के भय से अपनी बेटियो को पढ़ने के लिए बाहर नहीं भेजते जिसके कारण उनकी पढ़ाई पुरी नही हो पाती थी। सुनील ने अपनी मां और पिताजी को भी रात के खान के समय पर बताया की केसे दीदी अब अपनी कॉलेज की पढ़ाई घर बैठे कर सकती हैं बस उसकी परीक्षा दिलवाने के लिए किसी को उसके साथ परीक्षा के समय पर कॉलेज जाना पड़ेगा।
जगजीवन जी ने जब इस तरीके से पढ़ाई के नए तरीके के बारे में सुना तो उसे एक बार तो विश्वास नही हुआ परंतु फिर सोचा कि अगर मास्टर जी ने कहा हैं तो सच ही होगा बाकी में कल दिन में मास्टर जी के पास जाकर उनसे खुद ही इसके बारे में पूछ कर आ जाऊंगा, अगर सच में ऐसा हैं तो सुनीता की पढ़ाई भी करवा देंगे परीक्षा के समय में उसके साथ चला जाऊंगा।
जगजीवन जी अगले दिन सुबह जल्दी उठे और खेत में जाकर जल्दी से अपना काम खत्म किया। घर आने के बाद नहा कर तैयार होके सुनील का इंतजार करने लगे उसके साथ स्कूल में जाने के लिए । सुनील को जब अपनी मां से ये पता चला कि उसके पिताजी आज उसके साथ उसके स्कूल में जा रहे हैं तो वो डर गया बहुत ज्यादा, उसे लगा कि लगता हैं पिताजी को किसी ने शिकायत कर दी की में शरारत करता हूं।
Nahar Ke Aas Pas Kon Tha??
पुराने समय में बच्चे अपने पिता को आंखो से डरते थे, ये डरना असल में पिता के प्रति उनका सम्मान होता था जो आज के समय में बिल्कल विलुप्त सा होता जा रहा हैं।
जगजीवन जी ने विद्यालय जाकर गुरुजी से उसके बारे में जाना और फिर घर आकर बेटी को शहर ले जाकर उसका प्रवेश करवा के आ गए।
शाम को जब सुनील घर आया तो उसे पता चला कि उसके पिताजी उसकी बहन का शहर में जाकर आगे की पढ़ाई घर से करने के लिए प्रवेश करवा कर आ गए हैं।
सुनील बहुत ही खुश हुआ और अपनी बहन से कहने लगा दीदी आपकी जब परीक्षा होगी न तब में आपके साथ शहर जाऊंगा।
घर वाले बहुत खुश थे। जगजीवन जी को अपने खेतों में पानी देने के लिए नहर से आने वाले पानी के लिए अपने नंबर का इंतजार करना पड़ता था। खेत के अंदर क्यारियों में अक्सर पानी के नाले को बदलने के लिए उन्हे रात में वहीं रुकना पड़ता था।
पिछले कुछ दिनो से गांव में खुशर पुसर हो रही थी की नहर के आस पास वाले खेतो में रात में आजकल एक सफेद कपड़ों वाली चुड़ैल दिखाई देती हैं जो कई लोगो के मवेशियों को मार के खा चुकी हैं और कई बार तो खेत में काम करते लोगो पर भी हमला कर देती हैं।
आने वाले अगले सात दिनों तक पानी की बारी जगजीवन जी की थी वे रोज रात में खेत में क्यारियों में पानी बदलने जाते थे। रात में कई बार उनके मन में ख्याल आता की क्या सच में वो लोग सही कह रहे थे की यहां आस पास कोई चुड़ैल अक्सर रात में घूमती हैं। जगजीवन जी को आज पांचवा दिन था और वे आज भी खेत के आस पास के नहर के एरिया में घूम कर आए थे की क्या सच के कोई चुड़ैल हैं या फिर नसीले पदार्थो की तस्करी करने वालो ने कोई नया रास्ता निकाला हैं।
दूसरे दिन सुबह सुबह जगजीवन जी को खबर मिली कि पास ही के गांव में रहने वाले उनके किसी रिश्तेदार की मौत हो गई हैं तो उन्होंने आज खेत न जाकर वहां जाने का फैसला लिया।
जगजीवन जी का छोटा बेटा सुनील स्कूल से वापिस अपने घर आ चुका था परंतु अभी तक उसके पिताजी वापिस घर नही आए थे। रात हो चुकी थी और अंधेरे को देखते हुए लग रहा था की आज उनका आना संभव नही हो पायेगा शायद जिसकी मौत हुई हैं उसके कोई रिश्तेदार नही पहुंचे होंगे अभी तक जिसके कारण दाह संस्कार की प्रक्रिया पूर्ण नही हुई होगी।
सुनील और उसकी मां दोनो जानते थे कि खेत में पानी देना जरूरी हैं नही तो फिर पानी अगले 15 दिन बाद ही मिलेगा। सुनील की मां और बहन रात में खेत में अकेले जा नही सकती थी क्योंकि रात में हर प्रवर्तीं के लोग बाहर घूमते रहते हैं तो जवान बेटी के साथ कल कोई दुर्घटना हो गई तो जिंदगी भर का रोना हो जायेगा।
सुनील अपनी मां से कहता हैं की वो अपने दोस्त राजीव को लेकर आज खेत में पानी देने चला जाएगा। सुनील यह जानता था की उसकी मां उसे अकेले कभी खेत में नही जाने देंगी, क्योंकि उन्हें उसकी चिंता रहती थी और वो अभी भी उसे एक छोटा नासमझ बच्चा ही समझती थी।
सुनील की मां ने परिस्थितियों को देखते हुए सुनील को अपने दोस्त के साथ रात में खेत में पानी देने के लिए जाने को कह दिया। सुनील की मां अपने खेत के पड़ोसियों को भी बता कर आई की रात में मेरा छोटा वाला बेटा पानी देने आएगा तो आप थोड़ा ध्यान रखना आज उसके पिताजी साथ नही हैं बाकी दिन की तरह तो कोई दिक्कत नही हो।
मां को हमेशा अपने बच्चो को चिंता रहती ही हैं। सुनील अपने दोस्त के साथ खेत के लिए निकल गया।
Vo Chudail Kon Thi??
इधर जब जगजीवन जी आज दाहसंस्कार नही होने के कारण रिश्तेदारों के घर पर ही रुके हुए थे। कल सुबह दाह संस्कार की प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद वो अपने घर जायेंगे परंतु आज रात पानी देने की दिक्कत हैं नही तो फिर अगले 15 दिन तक इंतजार करना पड़ेगा अपनी पानी को बारी आने के लिए।
वहां कुछ आस पास के गांव से और भी रिश्तेदार आए हुए थे और जब इतने लोग एक साथ किसी जगह पर बैठे हुए हो तो किसी न किसी मुद्दे पर चर्चा तो होगी ही।
वहां बैठे कुछ लोगो ने बताया की परसो रात के पास ही के गांव की सीमा के पास में नहर के किनारे वाले खेत में एक किसान जो रात में अपने खेतो में पानी दे रहा था उसकी उस चुड़ैल ने हत्या कर दी थी। जब बाकी लोग वहां देखने के लिए गए को क्या हुआ तो उन्होंने एक औरत की परछाई को उधर से निकलते हुए देखा ओर उस किसान को उसने मार डाला था।
जगजीवन जी ने जब इस घटना के बारे में सुना तो उन्हें उत्सुकता होने लगी उस घटना के बार में और ज्यादा जाने के लिए क्योंकि जिस जगह ये लोग दुर्घटना हुई बता रहे थे वो जगह उनके खेतो से बस 15 मिनट की दूरी पर ही थी।
वहां बैठक में बैठे एक बुजुर्ग ने बताया कि काफी साल पहले पास ही के गांव में एक तांत्रिक औरत रहती थी। जिसके खुद के कोई बच्चा नहीं था इसलिए वह कुछ तांत्रिक क्रियाएं करती रहती थी। उस गांव में जब 15 से 20 बच्चो की कुछ ही दिनो के अंतराल मौत हो गई तो मौत का कारण जानने के लिए अब गांववाले रात में गांव में पहरा देते थे। एक रात पहरेदारों ने देखा की वह औरत गांव के एक चौराहे पर बैठकर कोई तांत्रिक क्रिया कर रही थी एक गोल चक्र के अंदर बैठकर।
जब वह औरत तांत्रिक क्रियाएं कर रही थी लगभग उसी समय पर वहीं पास ही की गली में एक बच्चे की मौत हो गई जिसके बाद गांववालो को समझ में आया की यह सब इस तांत्रिक औरत की कारस्तानी हैं। गांव के लोगो ने मिलकर इस औरत को वहीं पास ही के एक बरगद के पेड़ से बांध दिया और उसे जिंदा जला दिया।
उसकी मौत के कुछ दिन बात जब गांव में लोगो को असमय मृत्यु होने लगी तो गांव वालो ने एक बड़े साधु महाराज को बुलाया था जी बहुत ही सिद्ध शक्तियों के स्वामी थे। उन्होंने इस गांव में आके कुछ पूजा अर्चना की थी और उस चुड़ैल को बांध दिया था।
अभी पिछले कुछ दिनों से सुनने में आ रहा हैं की अब आस पास के गांवों में वैसी ही कोई औरत दिखाई देती हैं नहर के किनारे पर और करीबन 10 से 15 लोगो की असामयिक मृत्यु भी हो चुकी हैं।
जगजीवन जी ने जब यह सब सुना तो उन्हें विश्वास हुआ की सच में ऐसी कोई शक्ति उनके खेतों के आस पास घूम रही हैं और कई लोगो को मार भी रही हैं।
जगजीवन जी ने निर्णय लिया की वो आज ही बाजार से एक हनुमान चालीसा को पुस्तक लेकर आएंगे और एक छोटी सी हनुमान जी मूर्ति भी गले में पहनने के लिए जिससे उनकी सुरक्षा उस चुड़ैल से हो सके क्योंकि खेतो में तो काम करने जाना ही पड़ेगा।
Chudail Ne Help Maangi
सुनील अब अपने दोस्त के साथ खेत में पहुंच चुका था। नहर से आने वाले पानी का रास्ता मोड़ कर अपने खेतो में बनी क्यारियों में पानी देने लगे दोनो दोस्त मिलकर,वे दोनो आपस में बाते करते हुए काम कर रहे थे तभी उन्हें किसी के चिल्लाने की आवाज आई अपने से कुछ ही दूरी से और पहली बार में सुनने से लग रहा था की ये आवाज किसी औरत की हैं।
भूत प्रेत के बारे में बचपन से सुनील से कहानियां सुनी जरूर थी परंतु कभी भी उसने इन सब शक्तियों का अनुभव नही किया था।
वे दोनो दोस्त मिल कर खेत में बनी क्यारियों में पानी दे रहे थे, सुनील का दोस्त राजीव कहीं से दो बीड़ी चुराकर ले आया था और वह सुनील से बोला को चल यार जितनी देर में ये क्यारिया पानी से भरती हैं उतनी देर में हम दोनो भाई यहीं बैठकर बीड़ी पीते हैं। सुनील और उसका दोस्त वहीं क्यारियों की मेड़ पर बैठकर बीड़ी पी रहे थे।
एक औरत कहीं से अचानक से उनसे कुछ ही दूरी पर उनको आती हुई दिखती हैं और दोनो इस बारे में बात करते हैं की आखिर ये औरत कोन हैं और इस चांदनी रात में भी ये हमे आते हुए दिखाई क्यों नही दी जबकि इतनी रोशनी हैं और दूर दूर तक खेतो में छोटी छोटी फसल हैं जिससे काफी दूर तक का साफ साफ दिखाई देता हैं। वे दोनो इस बारे में बात कर ही रहे होते हैं की वह औरत उनके बिल्कुल पास में ही आ जाती हैं और उनसे किसी के घर का नाम लेकर उनके घर जाने का रास्ता पूछती है।
इतनी रात में एक औरत को इन खेतों में किसी के घर का पता पूछने पर उन्हें आश्चर्य तो हुआ परंतु फिर सोचने लगे कि हो सकता हैं की शायद रास्ता भटक गई हो।
थोड़ी देर में वह औरत उनसे कहती हैं कि क्या तुम लोग मुझे उनके घर तक छोड़ के आ सकते हो इतनी रात के अकेली औरत के साथ कुछ भी हो सकता हैं और में तो इस गांव के बारे में कुछ जानती भी नही अभी भी थोड़ी देर पहले भी कुछ आवारा से लोग मेरा पीछा कर रहे थे और मेरा हाथ भी जबरदस्ती पकड़ लिया था, मुश्किल से उनसे पीछा छुड़वाकर आई हूं अब कृपया आप दोनो मेरी इतनी सहायता कर दीजिए।
सुनील और उसका दोस्त राजीव सोचने लगे हो न हो वो आवाज जो उन्हें सुनाई दी थी वो इसी औरत की होगी। सुनील को तो अभी बहुत सी क्यारियों में पानी देना था और ये राजीव भी जानता था की अगर उन्होंने आज सुनील के खेतो में पानी नहीं दिया तो फिर अगले 15 दिन तक उन लोगो को इंतजार करना पड़ेगा।
एक औरत इतनी रात में उनसे मदद मांग रही हैं और अपने संस्कारों के अनुसार किसी औरत को सहायता के लिए कभी मना करना उन्होंने सीखा नही था तभी राजीव एक तरीका निकालता हैं की वो उस औरत को गांव में उसकी मंजिल तक छोड़ने जायेगा और सुनील इतनी देर अपने खेतो में पानी देगा। उस औरत को छोड़कर राजिव कुछ ही देर में वापिस आने का वादा कर के चला गया।
जब राजीव उस औरत के साथ जाने के लिए निकल गया तो सुनील ने बच्ची हुई बीड़ी उठाकर फिर से जलाई और पीते हुए उन्हें जाते हुए देखने लगा। सुनील की नजर चांदनी रात में हो रही रोशनी के कारण बनी राजीव की परछाई पर पड़ी तो वह देखकर चौंक गया क्योंकि राजीव की तो परछाई चांद को रोशनी से उसे दिख रही थी परंतु राजीव के साथ जा रही उस औरत की परछाई नही बनी हुई दिख रही थी जिसे देखकर अब सुनील को उस औरत पर शक हुआ और वो धीरे धीरे से छुपकर उन दोनो के पीछे पीछे जाने लगा दबे पांव से।
उस औरत और राजीव को अंदाजा भी नहीं था की सुनील उन दोनो के पीछे पीछे आ रहा हैं।
Chudail Ne Pipal Ke Ped Par Le Jakar Maar Dala
अब गांव बस कुछ ही दूरी पर था कि तभी सुनील ने देखा की उस औरत ने राजीव को पास ही के एक पीपल के पेड़ की तरफ चलने का इशारा किया और राजीव उसका इशारा मान कर उस पीपल के नीचे चला गया।
सुनील की आंखे खुली की खुली रह गई जब उसने देखा की उस औरत के पांव उल्टे थे और वो अब बिल्कुल राजीव के सामने खड़ी थी और उससे कुछ बात कर रही थी। राजीव की नजर जब उस औरत के पैरो पर पड़ी तो वह चौंक गया और उसने उसके पैरो को फिर से ध्यान से देखा की उस औरत को एड़ी आगे की तरफ हैं जबकि पैर के पंजे पीछे की तरफ है।
जब राजीव ने अपना मुंह ऊपर उठाकर देखा तो उस औरत का चेहरा अब भयानक रूप में बदल चुका था और देखते ही देखते राजीव हवा में था वह चुड़ैल उसे उठाकर पीपल के पेड़ पर बैठ गई।
उस औरत का भयानक चेहरा देखकर सुनील इतना ज्यादा डर गया की वो बेहोश हो गया और वहीं घास के बीच में गिर गया।
दूसरे दिन जब सुबह तक सुनील और राजीव खेत से वापिस नही आए तो उन्हें उनकी चिंता होने लगी की आखिर बच्चे रह कहां गए। जगजीवन जी भी अब तक रिश्तेदार के घर दाह संस्कार की प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद घर वापिस आ चुके थे। घर के बाहर ही बैठकर नहाए और नहाते नहाते ही उन्हे जब पता चला कि सुनील अपने दोस्त के साथ रात में खेत में पानी देने गया था परंतु अभी तक वे दोनो वापिस नही आए हैं।
जगजीवन जी ने सुनील की मां को आस पास के लोगो को इक्कठा करने को कहा परंतु वो कुछ समझी नहीं फिर भी अपने आस पास के घर के जाकर बोल कर के आ गई।
जगजीवन जी नहाते ही लोगो को इक्कठा कर के खेत की तरफ दोनो बच्चो को ढूंढने के लिए निकल पड़े, वे गांव के दूसरे कोने में पहुंचे तो उन्हें पता चला की वहीं पास ही के एक पीपल के पेड़ पर एक लड़के कि लाश मिली हैं।
यह सुनकर एक बार तो जगजीवन जी डर गए की कहीं मेरा बेटा किसी दुर्घटना का शिकार न हो गया हो। वे लोग उस जगह पर पहुंचे जहां उस लड़के कि लाश मिली थी वहां जाकर देखते हैं तो ये तो सुनील का दोस्त राजीव था तो उसकी हत्या बहुत ही भयानक तरीके से की गई थी।
पास से गुजर रहे कुछ राहगीरों ने बताया की यहीं पास ही में 3 लोगो की लाश और मिली हैं व एक व्यक्ति बहुत बुरे रूप से घायल हैं जिसे शहर के बड़े अस्पताल ले के गए हैं।
उस पीपल के पेड़ के आस पास इतने ज्यादा लोग थे तभी इनमे से किसी की नजर वहां पास ही की झाड़ियों में बेहोश मिले सुनील पर पड़ी, जब लोगो ने शोर मचाया तो सुनील के पिता जगजीवन जी और उनके साथ के लोग वहां भाग कर पहुंचे ओर देखा की उनका बेटा सुनील झाड़ियों में बेहोश पड़ा हैं।
आस पास के क्रिसी के घर से पानी मंगवाया और सुनील के मुंह पर पानी के छींटे मारें तो वो होश में आया। होश में आने के बाद सुनील ने उन दोनो के साथ रात ने हुई औरत वाली घटना के बारे में सब कुछ बताया और उसने बताया की उस औरत का चेहरा बाद में बहुत भयानक हो गया था और उसने राजीव को एक हाथ से उठाकर पेड़ पर ले जा कर मार दिया ये सब देखने के बाद मुझे कुछ याद नहीं, उसके बाद मेरी आंख अभी खुली हैं।
जगजीवन जी को रात में वहां उन बुजुर्ग के द्वारा कही गई बात याद आई और उन्होंने राजीव का अंतिम संस्कार करवाया और उसके पिता के साथ खड़े रहे।
जगजीवन जी गांव को इस विपदा से छुटकारा दिलाने के लिए जिन साधु महाराज का नाम उन बुजुर्ग ने बताया था जिन्होंने उस चुड़ैल को पहले भी कैद किया था उनकी खोज में निकल पड़े।
बहुत मुश्किल से कुछ दिनो बाद उन्हें उन साधु महाराज जी का पता चला और वे भरे मन से उनके पास पहुंचे और उन्हें सारी मौत और उस चुड़ैल द्वारा गांव में मचाए गए आतंक के बारे में बताया।
Sadhu Maharaj Ne Us Chudail Ka Kya Kiya??
साधु महाराज जी की उम्र अब शरीर का साथ नही दे रही थी परंतु फिर भी वो जगजीवन जी के साथ चलने को तैयार हो गए क्योंकि वो खुद जानते थे की उस चुड़ैल को उनके अलावा और कोई नही कैद कर सकता । आस पास के किसी भी गांव में ऐसा कोई साधू या पंडित नही हैं जिसने उसे कैद में करने की साधना की हो।
साधु महाराज जी ऊंटगाड़ी में बैठकर उनके गांव में आए और पूजा कर के फिर से उसे चुड़ैल को कैद कर के उस गांव और आस पास के गांवों के लोगो को इस चुड़ैल के आतंक से मुक्त किया।
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