आज की कहानी एक सच्ची घटना हैं जो आज से करीबन 10 साल पहले राजस्थान के रहने वाले एक युवक के साथ घटी थी। इस सच्ची घटना के बारे में उसी की जबानी जानिए ।
मेरा नाम रचित हैं और में राजस्थान के सीकर जिले का रहने वाला हूं।
Kya Raaj Tha Us Bihad Ka??
यह घटना आज से करीबन 10 साल पहले मेरे साथ घटी थी जब मेरी उम्र हुआ करती थी करीबन 15 साल। में अपने परिवार के साथ गांव में रहता हूं और मेरे ताऊ जी गांव से कुछ किलोमीटर दूर खेत में रहते हैं।गांव से खेत में जाने के लिए दो रास्ते हैं। एक रास्ता बीहड़ के बीच में से जाता है जिसमें चारों तरफ घनी झाड़ियां और पेड़ हैं जबकि दूसरा रास्ता बीहड़ के दूसरी ओर से जाता है। आज के समय में तो इस दूसरे रास्ते पर बढ़िया सड़क बन चुकी है परंतु जब यह घटना मेरे साथ हुई थी उस समय पर वहां एक कच्चा रास्ता ही हुआ करता था।
मैं अक्सर खेत में जाया करता था कभी कबार रात को भी निकल जाता था क्योंकि हमारे खेत में पानी देने के लिए कभी कबार मुझे रात में भी जाना पड़ता था। मेरे ताऊ जी का परिवार हमारे ही पास के खेत में रहता था और कभी कबार में रात में उनके पास भी रुक जाता था।
मेरे ताऊ जी के लड़के को शादी ही चुकी हैं और मेरा वह विदेश में एक कंपनी में नौकरी करता हैं। मेरे खेत के साथ ही लगता हुआ एक पुराना जोहड़ हैं। (जोहड़ राजस्थान में उस भूमि को कहा जाता हैं जिसमे कोई फसल नही उगाई जाती और कैर के पेड़ लगे हुए होते हैं) हमारे खेत के साथ लगने वाले जोहड़ की भूमि में भी हजारों कैर के पेड़ लगे हुए थे।
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रात के समय में जोहड़ थोड़ा डरावना लगता था और काफी लोगो के साथ इस जोहड़ में भूतिया घटनाएं हो चुकी थी। में कई बार रात में भी लेट तक इस जोहड़ के बीच से होकर खेत में चले जाता था पानी देने के समय पर परंतु मुझे कभी डर नही लगता था।
सावन के बाद में भाद्रपद के महीने में राजस्थान में लोहार्गल में एक 24 कोसीय परिक्रमा होती हैं जिसने राजस्थान और आस पास के राज्यो के हजारों लोग बाबा मालखेत की 24 कोसीय परिक्रमा करने आते हैं।
Kya Mare Huye Insan Hamse Baat Kar Sakte Hain??
मेरे ताऊ जी और ताई जी भी हर साल ये परिक्रमा करने जाते थे। हमारे गांव के ही रहने वाले जयपाल जी पास ही शहर में नौकरी करने जाते थे। मेरे पारिवारिक मित्र होने के कारण उनसे कई बार बात चीत हो जाती थीं। वो मेरे से हमेसा से ही स्नेह रखते थे। जब भी मिलते तो मुझसे मेरी पढ़ाई लिखाई और बाकी सभी बातों के बारे में मुझसे पूछते थे।
जिस समय ये घटना मेरे साथ हुई थी उससे करीबन 6 महीने पहले एक दिन अचानक से हमे खबर मिली कि जयपाल जी ताऊ जी को असामयिक मृत्यु हो गई।
मुझे और मेरे परिवार को भी बहुत दुख की अनुभूति हुई। वे एक हंसमुख और मिलनसार व्यक्ति थे। पूरे गांव में उनकी मौत से गम का माहोल पसर गया था।
भाद्रपद के महीने की बात हैं मेरे ताऊजी और ताई जी दोनो परिक्रमा के लिए गए हुए थे। घर पर भाभी जी और मेरा भतीजा अकेला ही था। शाम का समय था पिताजी के पास ताऊ जी का फोन आया की वो दोनो तो बाबा मालखेत की परिक्रमा देने आ गए हैं और घर में पीछे से भाभी जी और बच्चा अकेले हैं। रात के समय में खेत के पास में ही सुनसान जोहड़ होने से दोनो को डर लगता हैं इसलिए मुझे खेत वाले घर में भेजने के लिए कहा जिससे भाभी जी और मेरा भतीजा भी बिना डरे सहज हो कर सो सके।
ताऊ जी का फोन आने के बाद पिताजी ने मुझे तुरंत खेत में जाने को कहा क्योंकि भाभी जी अकेली थी तो पिताजी को भी उनकी ओर बच्चे की चिंता थी। में घर से खेत जाने के लिए निकल पड़ा।
Kya Tha Us Ghane Bihad Men??
गांव से थोड़ी दूर बाहर निकलते ही में इस रास्ते पर आ गया जिससे एक रास्ता तो बीहड़ के बीच में से होकर मेरे खेत की तरफ जाता था जबकि दूसरा गाड़ियों के जाने वाला रास्ता था जो को लम्बा था।
अंधेरा हो चुका था और मुझे खेत में जल्दी पहुंचना था तो मेने बीहड़ के अंदर वाले रास्ते से ही जाने का सोचा। मुझे आज भी अच्छे से याद हैं वो शनिवार का दिन था और अंधेरा बढ़ चुका था परंतु में हमेशा की भांति निडर होकर सीधे बीहड़ के रास्ते से खेत में जाने लगा। हमारे गांव का बीहड़ उस समय बहुत घना हुआ करता था, आज तो अवेध पेड़ो को काटने वालो ने बीहड़ के पेड़ काट काट कर अपने घर भर लिए।
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में धीरे धीरे अपने रास्ते से चला जा रहा था तभी मेरा ध्यान बीहड़ के अंदर जल रही आग पर गया। एक बार तो थोड़ा अजीब सा लगा परंतु कई बार घुमंतु कबीले वाले लोग बीहड़ में आकर रुकते थे तो मुझे लगा कि ये आग वैसे ही किसी कबीले ने जला रखी होगी अपना भोजन बनाने के लिए।
थोड़ी दूर आगे चलने पर मुझे बीहड़ के अंदर से किसी ने मेरे नाम से पुकारा और अपने पास आने को कहा। में आवाज को सुन तो चुका था परंतु आवाज को नजरंदाज ही किया क्योंकि कई बार गांव के बेवड़े भी अंधेरा होने के बाद बीहड़ में आकर दारु पीते थे। मुझे ऐसे लोगो से बातचीत करना बिल्कुल पसंद नहीं था इसीलिए मेने उस आवाज को नजरंदाज किया।
वही आवाज फिर से दो से तीन बार आई, और जब मेने आवाज को ध्यान से सुना तो यह आवाज तो जानी पहचानी सी थी।
रात के इस अंधेरे में ये आवाज आ कहा से रही थी इस बियावन बीहड़ में से ये सोचने वाली बात थी। मेने थोड़ा ध्यान लगाया तो समझ में आया की यह आवाज तो उसी आग की तरफ से ही आ रही थी।
मुझे अब थोड़ी जिज्ञासा हुई को आवाज भी जानी पहचानी हैं और इस बियावान बीहड़ के अंधेरे में इस बंदे ने मुझे पहचान केसे लिया जबकि में तो सामने भी नही आया इसके।
में यही सब जानने के लिए उतावला होने लगा और उस आग की तरफ अपने कदम बढ़ाने लगा।
जैसे जैसे में उस आग की तरफ जा रहा था तो मुझे कुछ अजीज सा अनुभव हो रहा था जैसे की कोए कांव कांव कर रहें हैं और कुत्ते भी रो रहे थे।
मेने उन सब की तरफ ध्यान न देकर उस आवाज की दिशा में जाने लगा। जैसे में आग के पास पहुंचा और मेने उस इंसान का चेहरा देखने की कोसिस की तो मुझे पहली नजर में वो चेहरा जाना पहचाना सा लगा की जैसे मेने इनको कही तो देखा हैं। अंधेरे की वजह से दूर से उनका चेहरा साफ नहीं दिखाई दे पा रहा था।
Kya Vo Bhoot Tha??
जैसे ही में आग के एकदम नजदीक पहुंचा वो मेने उस इंसान को देखा तो मेरे रोंगटे खड़े हो गए। मुझे एक बार तो विश्वास नही हुआ की जो में देख रहा हूं वो सच है या सपना।
जो आग जला कर बैठे हुए थे वो कोई और नहीं जयपाल जी ताऊ जी थे जिनकी मृत्यु आज से करीबन 6 महीने पहले ही चुकी थी। मेरी आवाज बिलकुल बंद हो चुकी थी और में एकदम सुन सा पड़ गया था।
उन्होंने तभी मुझे फिर से मेरे नाम से पुकारा और मुझे बैठने को कहा,में बस एकटक उनको देखे जा रहा था और कुछ बोलने या करने का सामर्थ्य भी मेरे में नही बचा था। उनकी आवाज जब एक बार और मेरे कानो में पड़ी तो मेने उनकी बात सुनकर उनके सामने ही आग के पास बैठ गया।
में ये सोच सोच कर परेशान हो रहा था की क्या ऐसा भी हो सकता हैं एक आदमी मरने के बार भी बिलकुल वैसे का वैसे जैसा जब वो जिंदा था तब था, केसे हो सकता है।
उन्होंने मुझसे कहा की बेटे देख क्या रहा हैं में ही हूं और हैं में मार चुका हूं ये में जानता हूं पर तुम्हे मुझसे डरने की जरूरत नहीं है।
तुम आराम से बैठो और मेरी बात सुनो, मेने थोड़ा सहम कर कहा हैं जी बताइए,
उन्होंने मुझसे कहा की मुझे अंधेरा होने के बाद इस बीहड़ से होकर नही आना जाना चाहिए। इस बीहड़ में कई बुरी आत्माएं हैं जो कुछ भी अहित कर सकती है।
उन्होंने मुझसे कहां की में अभी इतना बड़ा नही हुआ हूं की इन सब चीजों का सामना कर सकू।
आज तो तुम बच गए हो मेरे कारण क्योंकि में नहीं चाहता कि तुम्हारा कोई अहित करे इसलिए अब जल्दी से यहां से चले जाओ और फिर कभी इस रास्ते से अंधेरा होने के बाद मत जाना।
में वहां से निकल गया और पीछे मुड़ कर भी नही देखा मेने तो एक बार भी। आज जितना विज्ञान पढ़ा था सब धरा रह गया था। में ये सोच सोच कर परेशान हुआ जा रहा था कि केसे एक मृत इंसान अपनी मृत्यु के 6 महीने बाद भी अपने इसी शरीर में उसी आवाज में मुझसे सामने आकर बात कर सकता हैं ये बात मुझे जरा भी हजम नही हो रही थी।
उस रात तो में खेत ने जा कर सो गया परंतु अगले दिन सुबह घर आते ही मेने पिताजी को पूरी बात बताई जो रात में मेरे साथ हुआ उसके बारे में, परंतु पिताजी को लगा कि में झूट बोल रहा हूं और आखिर उनको ही क्यों लगभग सभी को ऐसा लगता हैं आज भी जब भी में ये आपबीती किसी को बताता हूं तो।
मेने पूरी घटना का विवरण मेरी दादीजी को भी बताया। मेरी दादीजी ने मुझे बताया की उन्होंने गांव के कई और भी लोगो से इस बीहड़ में विचरण करने वाली आत्माओं के बारे में सुना हैं।
उस दिन की घटना के बाद से आज तक में कभी भी उस बीहड़ में रात में अंधेरे में नही जाता हूं।
आज तक मुझे मेरे सवाल का जवाब नही मिल पाया हैं की आखिर केसे एक मृत इंसान किसी जीवित इंसान से वार्तालाप कर सकता हैं।
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