आज के इस ब्लॉग में हम ले के आए हैं आपके लिए एक ओर सच्ची ओर डरावनी भूतिया कहानी जो आपके रोंगटे भी खड़े कर सकती है।
ये कहानी है राजस्थान के रेगिस्तानी इलाके में बसे एक छोटे से गांव के रहने वाले भंवर सिंह की। आगे इस कहानी को पढ़िए भंवर सिंह की जुबानी –
में राजस्थान के एक दूर दराज के रेगिस्तानी एरिया में बसे एक छोटे से गांव का रहने वाला हूं जिसे आम भाषा में राजस्थान में ढाणी भी कहा जाता है। ये कहानी आज से 35 साल पहले की हैं उस समय हमारे गांव ओर आस पास के गांवों में छलावा का खौफ बहुत ज्यादा था।
छलावा उस शैतानी ताकत को कहते हैं जो किसी भी इंसान का रूप धारण कर के आपसे संवाद करने की कोशिश करती हैं ओर अगर आपने उनके बुलावे का जवाब दे दिया तो आपकी जान को ईश्वर ही बचा सकता है।
एक दिन जब मैं स्कूल से पढ़कर वापिस घर आया री मां ने कहा कि आज से अकेले किसी भी जगह पर बाहर मत जाना अगर कोई काम भी ही तो हम में से किसी को साथ ले के जाना, मां के चेहरे पर एक डर का भाव था जब वो मुझे ये सब समझा रही थी।
मुझे उस समय खेलने कूदने का बहुत शौक था तो में मां की इस बात पर नाराज़ हो गया ओर उनसे रूठ गया ना ही मेने खाना खाया उस दिन तो मां बहुत ज्यादा परेशान है गई। रात को जब पिताजी काम से वापिस लौटे तो मां ने पिताजी को मेरी शिकायत की ओर पिताजी मुझे डांटने लगे कि मेने खाना क्यो नहीं खाया ओर मां की बात क्यो नहीं मान रहा। में भी बहुत जिद्दी रहा पिताजी से मार खा ली परन्तु अपनी जिद से टस से मस न हुआ ओर मां ओर पिताजी से नाराज हो कर दादी है पास सोने चला गया ओर उन्हें बताया कि मां ओर पिताजी मुझे खेलने जाने के लिए मना कर रहे है ओर मुझे पिताजी ने मारा भी, तब मेने दादी मां ने मुझे बताया कि मेरे मां ओर पिताजी ने मुझे मना क्यो किया था, उन्होंने मुझे आज दिन में गांव में हुए छलावे की घटना के बारे में बताया।
दादी जी ने मुझे बताया कि हमारे गांव के रहने वाले रामधन ताऊ जी को आज छलावा ने मार डाला, जब मेने उनसे पूछा कि ये छलावा क्या होता है तो उन्होंने मुझे छलावे के बारे में बताया ।
छलावा वो प्रेत शक्ति है जो किसी भी इंसान का रूप धर सकती है चाहे फिर में हो या फिर तुम्हारे माता पिता या फिर ओर कोई करीबी पारिवारिक सदस्य जिन्हे तुम जानते हो, छलावा का शिकार करने का तरीका बाकी शैतानी शक्तियों से बिल्कुल अलग होता है। ये तुम्हारे किसी प्रियजन कि आवाज में तुम्हे तीन बार आवाज लगाता हैं, ओर अगर तुमने जवाब दे दिया तो फिर तुम उसके वस मे हो जाते ही ओर उसके पीछे पीछे चलना शुरू कर दोगे।
छलावा तुम्हे अपने जगह ओर ले जाकर तुम्हे मार देगा ओर तुम्हारी आत्मा को अपने वस मे कर लेगा। दादी ने बताया कि रामधन ताऊ जी आज दिन में खेत में काम करने गए हुए थे ओर उन्हें छलावे ने उनकी पत्नी की आवाज में बुलाया ओर गलती से वो उसके पीछे चले गए। उन्हे अजीब सी अवस्था में मिट्टी के टीलों की तरफ जाते हुए हमारे ही एक पड़ोसी बच्चे ने देखा था ओर उन्हे राम राम भी कि थी परन्तु उन्होंने उसके अभिवादन का कोई प्रत्युत्तर नहीं दिया।
रामधन ताऊ जी की लाश गांव से कुछ ही दूरी पर मिट्टी के टीबो में पड़ी मिली थी। मेने जब दादी से पूछा कि उससे बचाने का क्या रास्ता है तो दादी ने बताया कि अगर तुम घर से बाहर हो ओर तुम्हे कोई हम में से किसी की आवाज में बुलाए तो ध्यान रखना की कम से कम चार बार आवाज लगाए तो ही जवाब देना।
उस समय तो मैंने दादी कि विश्वास दिला दिया कि में एसा ही करूंगा परन्तु बालमन था इतनी बाते उस समय याद नहीं रहती थी।
मां ओर पिताजी ने मेरा बिना काम या बिना अपने साथ के बाहर भेजना मना कर दिया था क्योंकि पिछले कुछ दिनों में गांव के काफी लोग छलावे का शिकार हो चुके थे।
एक दिन में घरवालों कि नजरो से छुपकर बाहर निकल गया घर से खेलने के लिए बिना घर में किसी को बताए। मेरे घर से जाने के बाद जब घरवालों को पता चला तो वो काफी परेशान हो गए ओर आस पास मे मुझे धूंडने लगे। में कब गांव से बाहर की ओर आ गया मुझे पता ही नहीं चला। गांव के बाहर की तरफ खेतों के पास में जोहड़ मे भेड़ बकरियों का रेवड चर रहा था। में बकरी के बच्चो के साथ खेलने लगा ओर खेलते खेलते मुझे काफी टाइम हो गया था। अचानक से मुझे मेरी मां की आवाज सुनाई दी ओर में डर गया कि आज तो मार पड़ेगी बिना बताए घर से आ गया था इसलिए इसी डर के कारण जब वो आवाज दुबारा आई तो मेने उस बुलावे का जवाब दे दिया परन्तु मुझे क्या पता था कि जिस आवाज को में अपनी मां की आवाज समझ रहा था वो उस छलावे की थी।
उसके बाद मुझे नींद सी आ गई अचानक से ओर जब मेरी नींद खुली तो में घर में चारपाई पर सो रहा था ओर आस पड़ोस के काफी सारे लोग मेरे घर पर इक्कठा हो रखे थे ओर गांव के मंदिर के पंडित जी भी वंही थे। इतने सारे लोगो की एक साथ देखकर में डर गया ओर रोने लगा तब मेरी दादी ने मुझे अपनी गोद में बैठा लिया ओर मुझे चुप कराया।
पंडित जी ने बताया की वो पास के गांव में पूजा करवा के वापिस गांव आ रहे थे तब उन्होंने मुझे मिट्टी के टिबो की तरफ जाते देखा ओर जब उन्होंने मुझे आवाज लगाई तो मेने उनका कोई जवाब नहीं दिया। थोड़ी बहुत दूर उन्होने मेरा पीछा किया ओर उन्हे पता चल गया कि में छलावे के वस मे था तो पंडित जी हनुमान चालीसा का पाठ कर के मुझे छलावे के वस से निकाल ओर मुझे गोद में उठाकर गांव ले आए।
मेरे पिताजी ओर घरवाले पंडित जी के चरण स्पर्श कर के उनका शुक्रिया अदा करने लगे मुझे बचाने के लिए।
गांव के कुछ लोगो ने कहा कि छलावे के वार से बचना मुश्किल है वो दुबारा इस बच्चे को ले के जाने की कोशिश जरूर करेगा। पंडित जी ने मेरे परिवारवालों को सावधानी बरतने की सलाह दी।
उस दिन के बाद में डर के साए में रहने लगा परन्तु अब मुझे मेरी दादी की सलाह हरदम याद रहती थी कि अगर कोई चार बार आवाज लगाए तो ही उसके बुलावे का जवाब देना हैं। में मेरे माता पिता के साथ सोने लगा ओर डर हरदम मेरे ऊपर हावी रहता था।
इस घटना के 3 दिन बाद जब रात में में गहरी नींद में सो रहा था तो मुझे मेरी दादी की आवाज सुनाई दी जेसे वो मुझे बुला रही हो, मेरी आंख खुली तो वो आवाज दुबारा सुनाई दी, परन्तु उसी समय मुझे मेरी दादी की कहीं गई वो बात याद आ गई की अगर जब तक चार बात आवाज ना लगाया जाए तब तक बुलावे का जवाब मत देना। दो बार मुझे मेरी दादी की बुलाने की आवाज आ चुकी थी ओर में बहुत डर गया था कि ये छलावा ही हैं ओर मुझे जिंदा नहीं छोड़ेगा परन्तु फिर भी मेरी दादी के द्वारा बताए गए रास्ते के कारण मुझमें थोड़ी सी हिम्मत आई ओर मेने अपनी मां को आवाज लगाई जोर जोर से परन्तु मां को मेरी आवाज सुनाई ही नहीं दे रही थी, तभी दादी कि आवाज में मुझे तीसरी बार बाहर आने के लिए कहा गया परन्तु मेने बुलावे का जवाब नहीं दिया।
थोड़ी देर इसी डर में में लेटा रहा और अपनी मां को आवाज लगाने की कोशिश करता रहा परन्तु वो जाग ही नहीं रही थी। जब तीन बार आवाज आने के बाद चोथी बार आवाज नहीं आई तो में समझ गया कि मेरी दादी सही ही कह रही थी ये छलावा ही था जो मुझे फिर से लेने आ गया था क्योंकि उसका पहला प्रयास पंडित जी ने विफल कर दिया था।
थोड़ी देर बाद जब सुबह के समय मेरी मां उठी तो उन्होंने मुझे अजीब सी अवस्था में डरे हुए देखा था पिताजी को तुरंत जगाया ओर मुझ पर पानी के छींटे डाले तब में होश में आया। मेने मां ओर पिताजी को बताया कि रात की दादी ने मुझे तीन बार आवाज लगाई थी ओर मेने आप लोगो को जगाने कि बहुत कोशिश की परन्तु आप लोग उठे नहीं। पिताजी ने जब दादी से पूछा तो उन्होंने मना कर दिया कि में तो रात भर सो रही थी में तो नहीं थी इसे बुलाने वाली तब सारे परिवार वाले समझ गए की वो छलावा ही था जिसने फिर से मुझे रात में आवाज लगाई थी।
सुबह हमे पता चला कि गांव में ही रहने वाला एक ओर आदमी रात में छलावे का शिकार हो चुका हैं तो गांव वालो ने पंचायत बुलाई ओर सब को इक्कठा किया।
पंडित जी से इस छलावे से मुक्ति प्रदान करने के लिए कोई उपाय करने के लिए कहा तो पंडित जी ने कहा कि ये काम मेरे वस का नहीं है कि में उसका सामना कर सकू, मेने इतनी साधना नहीं कर रखी की में अकेले उसका सामना करू परन्तु एक बड़े पंडित जी हैं जिनको में जानता हूं वो ये काम कर सकते हैं उनको अगर गांव में बुलाया जाए तो वो उस छलावे के डर से हम सब को मुक्त कर सकते है।
पंडित जी ने उन बड़े पंडित जी को बुलाया ओर सारी समस्या के बारे में अवगत करवाया ओर गांव को उस छलावे के खौफ से मुक्ति दिलाने की प्रार्थना की।
पंडित जी ने कुछ धागे दिए ओर सबको अपने अपने घर के बाहर बांधने को कहा सिवाय एक पंडित जी के घर की छोर कर। हर एक गांव वाले ने अपने घर के बाहर वो धागे बांध दिए ओर पंडित जी ने पूजा की तैयारी की अपने घर में ओर रात होने का इंतजार करने लगे। रात को जब छलावा शिकार पर निकला तो हर घर के बाहर पवित्र धागे बंधे होने के कारण वो उस धागे के तेज को बर्दाश्त नहीं कर पाया ओर अंत में उस पंडित जी का घर बिना धागे के मिला तो उसने पंडित जी को आवाज लगाई, बड़े पंडित जी तो आज उस छलावे का खात्मा करने के लिए पूरी तैयारी कर के बैठे थे।
पंडित जी ने उसकी आवाज का जवाब दे दिया ओर घर से बाहर निकल पड़े घर का दरवाजा खोल कर जेसे ही छलावे ने उनको अपने वस मे करने की कोशिश की बड़े पंडित जी ने मंत्रो का कुछ उच्चारण कर के उस छलावे को अपनी मंत्र शक्ति से बांध दिया ओर पंडित जी को उसके वस से मुक्त कर के पूजा करने लगे।
पिताजी बता रहे थे कि पंडित जी ने रात भर पूजा पाठ कर के उस शैतान छलावे को प्रेत योनि से मुक्त कर दिया ओर उसके मुक्त होते ही गांव नहीं उस शैतान की परछाई से मुक्त हो गया।
आज उस घटना को 35 साल से ज्यादा समय हो चुका है परन्तु आज भी जब कभी में उस घटना को याद करता हूं तो मेरे रोंगटे खड़े हो जाते हैं।
आप मानो या ना मानो इस दुनिया में प्रेत शक्तियां भी होती हैं ओर ये मेने खुद महसूस किया हुआ है इसीलिए कभी भी किसी शक्ति को कमतर नहीं आंकना चाहिए नहीं तो हो सकता है उसका अगला शिकार आप हो।
आज के ब्लॉग में बस इतना ही जल्दी ही मिलते हैं एक ओर सच्ची कहानी के साथ।