नमस्कार दोस्तों आज हम बात करेंगे इस पृथ्वी की कुछ ऐसी अनसुलझी ताकतों के बारे में जिनके बारे में पूर्ण रूप से आज तक कोई भी नहीं बता पाया है. ये ऐसी ताकते हैं जिनके बारे में सुनना तो हर कोई चाहता है लेकिन इन पर विश्वास कुछ लोग ही कर पते हैं.
हम में से कुछ लोग ऐसे भी है जो इनके वजूद को नकारते रहते हैं लेकिन जब इन पर खुद पर इन ताकतों से संभंधित कोई दुर्घटना हो जाती हं तो फिर यही लोग इन बाबाओ के चक्कर में घूमते रहते हैं.
तो चलिए शुरू करते हैं इन ताकतों के बारे में जानना की आखिर ये हैं क्या और इनकी उत्पति का कारन क्या हैं.
कहा जाता है की इन सबकी शुरुआत सतयुग में हुयी थी उस समय पर जब धर्म पर संकट आता था तो हर एक देवता के मुख पर सिर्फ एक ही नाम रहता था और वो था भगवान शिवा जो की इस संसार के संघारक भी हैं. देवो के देव महादेव हैं जो की इस संसार की हर एक समस्या का संघार कर सकते हैं उस समय पर देवताओ और ऋषि मुनियो के निवेदन पर भगवान् शिवा ने एक नयी शक्ति की उत्पति की जो की किसी भी अन्य सकती को टक्कर दे सकती हैं किसी भी तरीके में। तंत्र के जनक भगवान् शिवजी हैं।
तंत्र : –
तंत्र कोई साधारण क्रिया नहीं हैं। तंत्र वो क्रिया हैं जिसके द्वारा हम किसी आत्मा या किसी भूत प्रेत को भी वश में कर सकते हैं तो किसी इंसान को भी वश में कर सकते हैं। तांत्रिक क्रियायों के लिए आपकी आत्मशक्ति का मजबूत होना बहुत आवश्यक हैं, अगर आपकी आत्मशक्ति मजबूत नहीं हैं तो आपके लिए यहना पर बहुत ज्यादा खतरा हैं। आज के समय में जो लोग ये कहते फिर रहे हैं न की वो तांत्रिक हैं उनमे से ९०% को असली तांत्रिक क्रियायों का क खा घ भी नहीं पता हैं। ये लोग बस शमशान में जाकर बस कुछ छोटे बच्चों की आत्माये जिन्हे साधारण भाषा में कच्चे कलुए भी कहा जाता हैं उनकी साधना करते हैं और फिर जनता को गुमराह करते हैं। इन सबका कारन में उन तांत्रिको को नहीं मानता की वो लोग जनता को गुमराह कर रहे हैं , इन सबका जिम्मेदार में उनसे ज्यादा उन लोगो को ही मानता हूँ जो की इन सब पर आँखे बंद कर के विश्वास करते हैं।
ये वही लोग होते हैं जो की सिद्ध साधुओ का तो अपमान करते थेओर इन पाखंडियो पर विश्वास करते हैं। उदहारण के तोर पर आप इन बाबाओ को ही ले लीजिये जैसे की आशाराम, राम रहीम , और रामलाल , इन लोगो पर इस जनता ने आँखे बंद कर के विश्वास किया था और इसका नतीजा आज सबके सामने हैं। कुछ लोग ऐसे भी थे जो इन पाखंडियो पर विश्वास कर के अपनी बच्चियों को अपनी बेटियों को इनके आश्रम में छोड़ आते थे फिर इन बच्चियों के साथ जो होता था वो आज जग जाहिर हैं।
तंत्र वो क्रिया हैं जिसमे भगवान् शिवजी की उपासना कर के कुछ विशेष मंत्रो की साधना की जाती हैं और ये साधना ऐसे ही किसी भी दिन नहीं की जा सकती हैं इनके लिए भी कुछ निश्चित समय अंतराल रहता हैं। जिस समय अंतराल में इनकी साधना की जाती हैं। देवी माँ काली के उपासक भी तंत्र क्रिया में माहिर होते हैं माँ काली भी तंत्र क्रियायों की देवी हैं। इनकी साधना भी तांत्रिक क्रियायों के लिए की जाती हैं।
मंत्र : –
इसी कड़ी में दूसरा नाम हैं, मंत्र का, मंत्र एक ऐसी सकती हैं जिसके द्वारा हम भगवान् को भी प्राप्त कर सकते हैं या फिर अपना खुद का सर्वनाश भी कर सकते हैं। क्योंकि मंत्र वो क्रिया हैं जिनमे शब्दों का थोड़ा सा उलटफेर होते ही अर्थ का अनर्थ हो जाता हैं।
सामान्य रूप में हम मंत्रो का उपयोग रोज के पूजा पाठ में भी करते हैं। लेकिन आप में से कुछ लोगो को ही ये पता होगा की ये जिन मंत्रो का उपयोग हम पूजा पाठ में करते हैं, ये बहुत शक्तिशाली होते हैं लेकिन इनकी वो शक्ति प्राप्त करने के लिए इनकी साधना की जाती हैं जो की बहुत ज्यादा कठिन भी होती हैं। इनकी साधना करने के लिए बहुत से नियम बने हुए हैं जैसे की आपको साधना के दिनों में ब्रह्मचर्य का पालन करना होगा। एक बार जब आपकी साधना पूर्ण हो जाती हैं , तो उसके बाद भी बहुत से नियमो की पलना करनी परती हैं। जैसे की अगर आप किसी ऐसे घर में जाते हो जिनके परिवार में एक या दो दिन पहले किसी बच्चे जा जन्म हुआ हो तो आपको आपकी साधना को वापिस प्राप्त करने के लिए शुद्ध होकर कुछ निश्चित मंत्र कुछ निश्चित समय अंतराल के लिए वापिस साधने परते हैं। मंत्रो के द्वारा कुछ भी किया जा सकता हैं चाहे वो किसी का भला हो या फिर चाहे किसी का बुरा हो , इन्ही मंत्रो के द्वारा हम किसी शैतानी ताकत से भी लड़ सकते हैं , और उसे परास्त भी कर सकते हैं।
इस दुनिया में सबसे बड़ा मंत्र ॐ ही हैं , ॐ से ही सबकी उत्पति हुयी हैं और अंत में ॐ में ही ये साडी दुनिया समां जाएगी। ॐ भगवान् शिवजी का प्रतिक हैं। ॐ वो मंत्र हैं जिसकी साधना हर तरीके का इंसान करता हैं चाहे वो कोई साधारण इंसान हो या फिर कोई सिद्ध साधु हो।
मंत्रो की सिद्धि होने के बाद इनको किसी विशेष पेड़ के छाल या फिर किसी विशेष पत्र पर लिख कर उपयोग में लिया जा सकता हैं।
ज्यादातर इसके लिए भोजपत्र का ही उपयोग किया जाता हैं जो की किसी विशेष पेड़ के छाल हैं।
जंत्र और यन्त्र : –
जंत्र और यन्त्र दोनों एक ही हैं। इसी कड़ी का ये अंतिम क्रम हैं और बहुत शक्तिशाली हैं , जो की किसी को कुछ भी दे सकता हैं या फिर किसी का सब कुछ ले भी सकता हैं। इन सबकी यही विशेषता हैं की ये दोनों पहलु रखते हैं , किसी को कुछ देने का तो किसी से सब कुछ लेने का भी रखते हैं। जंत्र और यन्त्र की साधना किसी साधारण दिन में नहीं की जा सकती हैं , इनके लिए कुछ विशेष दिन निश्चित हैं जैसे की दीपावली, होली , और दशहरा। जैसा की इनके नाम से ही प्रति हो रहा हैं , यन्त्र यानि की मशीन और दूसरे अर्थ में देखे तो कोई धातू। हाँ यही सत्य हैं की यंत्रों की साधना किसी सामान्य पत्रों पर नहीं की जाती हैं इनकी साधना किसी विशेष धातु पर की जाती हैं।
वो धातु लोहा भी हो सकता हं या फिर कोई ताम्बा या फिर सोना या चांदी भी हो सकता हैं। इन यंत्रो की साधना के लिए इन्हे किसी धातु के निश्चित आकार के टुकड़े में लिखा जाता हैं और फिर उसके बाद इनकी साधना की जाती हैं, और अगर इनकी साधना पूर्ण रूप से सही तरीके से की जाये न तो ये सिद्ध हो जाते हैं और फिर उसके बाद ये जिस विशेष कार्य के लिए सिद्ध किये जाते हैं उनकी पूर्ति ये कर देते हैं।
आज के इस ब्लॉग के लिए इतना काफी हैं आगे के ब्लॉग में हम ऐसे ही किसी और टॉपिक पर बात करेंगे जिनके बारे में बहुत से लोगो को कोई जानकारी नहीं हैं।
धन्यवाद्