पुनर्जन्म की वह कहानी जिसमें स्वयं महात्मा गांधी को दखल देना पड़ा था?Shanti Devi Reincarnation Case/Mahatma Gandhi

राम राम जी🙏🙏

Rebirth Story In India

यह कहानी है उस महिला की जिसने अपने पुनर्जन्म का दावा किया था और उसके ऊपर कई रिसर्च भी हुई हैं और आज तक भी यह एक रहस्य ही है कि
 क्या उस महिला का पुनर्जन्म हुआ था?? 

Shanti Devi Reincarnation

यह कहानी है आजादी से पहले की जिसमें दिल्ली की  बच्ची जो अपने आप को शादीशुदा बताती थी वह भी उस उम्र में जिस उम्र में बच्चे अच्छे से बोल तक नहीं पाते हैं, बात तक भी नहीं कर पाते पूरे सही तरीके से। 
आज के इस लेख में हम आपको बताने वाले हैं दिल्ली की शांति देवी के बारे में जो दावा करती थी कि वह पिछले जन्म में लुगद देवी हुआ करती थी जो मथुरा के किसी व्यापारी की पत्नी थी और जिसकी मृत्यु उसके दूसरे बच्चे को जन्म देने के 10 दिन बाद हो गई थी इस घटना के अंदर कुछ ऐसी सच्चाई है थी जिसके कारण स्वयं महात्मा गांधी को इस मामले में दखल देना पड़ा था आज हम आपको शांति देवी की पूरी कहानी विस्तार से बताने वाले हैं तो लेख के अंत तक बने रहे हमारे साथ जानने के लिए कि आखिर क्या 
शांति देवी का पुनर्जन्म हुआ था??
शांति देवी का जन्म दिल्ली के एक परिवार में 11 दिसंबर 1926 को हुआ था। जब यह 3 साल की हो गई थी और जब इन्होंने थोड़ा बहुत बातचीत करना शुरू कर दिया था तो उस समय पर यह कई बार यह कहा करती थी कि “यह शादीशुदा है और इनके बच्चे भी हैं” और इनका घर यहां पर नहीं है जब छोटी सी बच्ची ऐसी कोई बात अपने मुंह से करती है तो मां-बाप उसे बच्चे की शैतानी समझकर नजरअंदाज कर रहे थे परंतु जब यह थोड़ी और बड़ी हुई तब भी यह वही बातें करती थी इनको अपने पिछले जन्म की यादें अभी भी याद थी और जिसका जिक्र यह बार-बार अपने माता-पिता के साथ करती रहती थी।

Shanti Devi Reincarnation Case

कई बार जब माता-पिता इनकी इन बेतुकी बातों से परेशान हो जाते तब आखिरकार एक बार उन्होंने इन से पूछ ही लिया कि चलो आखिर तुम शादीशुदा हो तो अपने पति का नाम बताओ और कहां रहती हो वह बताओ तब जो इस बच्ची ने बताया उसको सुनकर माता-पिता भी उसको एकटक होकर देखने लगे बच्ची ने कहा कि वह अपने पति का नाम नहीं ले सकती और वह शरमा गई उसके बाद उसने बताया कि वह मथुरा की रहने वाली है और द्वारकाधीश जी के मंदिर के सामने उनके पति की दुकान है और घर भी उसी जगह पर है यह बातें वह बार-बार करती थी उसके पिता ने उसका एक विद्यालय में प्रवेश करवा दिया और अब वह स्कूल जाने लगी थी परंतु आश्चर्य की बात यह थी कि जो लड़की जो लड़की कभी दिल्ली से बाहर गई ही नहीं वह मथुरा की आम भाषा में सब से बात करती थी उसका बोलने का लहजा भी मथुरा वाला ही था।
Rebirth
Shanti Devi Reincarnation

स्कूल के प्रधानाध्यापक  ने जब लड़की के पिता से इस बारे में बात की तो उन्होंने उसे इस बच्ची की पूरी कहानी से अवगत करवाया जिसके बाद प्रधानाध्यापक ने बच्ची से अकेले में बात करने की बात कही,पिता से सहमति मिलने के बाद वह उसे एकांत में ले जाकर पूछने लगे उसके बारे में तो उसने जो जो बताया था अपने माता पिता को वही सब उसने अपने प्रधानाध्यापक को भी बता दिया परंतु जब प्रधानाध्यापक ने उससे उसके पति का नाम पूछा तो उसने पति का नाम नहीं बताया। प्रधानाध्यापक ने उसे एक लालच दिया कि अगर वह उसे अपने पति का नाम बता देती है तो वह उसे उसके पति से मिलवा देंगे जिसके बाद बच्ची ने बहुत ही शर्मा कर जवाब दिया केदारनाथ चौबे।
स्कूल के प्रधानाध्यापक जी ने एक चिट्ठी लिखी केदारनाथ चौबे के नाम जिसमें उनका पता उन्होंने वही लिखा जो उन्हें उस बच्ची ने बताया था। जब यह चिट्ठी मथुरा में रहने वाले केदारनाथ जी चौबे के पास पहुंची तो वे उसे पढ़कर अचंभित से हो गए। केदारनाथ चौबे जी की पहले दो शादियां हुई थी और दोनों ही पत्नियों की मृत्यु हो गई थी और जब यह चिट्ठी उनको मिली थी उस समय उनकी तीसरी शादी हुई थी। जब उनको यह चिट्ठी मिली चिट्ठी मिलने के बाद उन्होंने अपने एक भाई को इस बारे में पता करने के लिए भेजा कि क्या यह जो चिट्ठी में लिखा है वह सच है?? वह केदारनाथ चौबे का भाई उन प्रधानाध्यापक जी के पास दिल्ली पहुंचा और उनसे उस बच्ची से मिलने की आशा की प्रधानाध्यापक जी ने उससे कहा कि तुम उससे अपना परिचय उसका पति केदारनाथ चौबे बनकर ही करना जब वह शांति देवी के घर पहुंचे तो शांति देवी से उनका परिचय प्रधानाध्यापक जी ने केदारनाथ चौबे के नाम से करवाया तो बच्ची ने शर्मा कर जो कहा उसे सुनकर वह सभी लोग आश्चर्यचकित रह गए। 
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शांति देवी ने कहा कि यह मेरे पति नहीं मेरे पति के भाई हैं जिसके बाद उन्होंने शांति देवी से पूछा उनके पुराने घर के बारे में उनके पुराने नाम के बारे में तो शांति देवी ने बताया कि उनका नाम पुनर्जन्म में लुगदी देवी था और इनकी मौत इनके दूसरे बच्चे को जन्म देने के 10 दिन बाद हुई थी और कुछ ऐसी बातें जो दिल्ली में रहने वाली उस बच्ची को मथुरा के किसी जगह की पता नहीं होनी चाहिए थी वह भी पता थी। उस बच्ची ने बताया कि उनके घर के आंगन में एक कुआं था और उसने घर में किसी जगह पर पैसे छुपा कर रखे थे केदारनाथ चौबे के भाई शांति देवी से मिलने के बाद वापस मथुरा लौट गए और उन्होंने केदारनाथ चौबे को सारी बातें बताई यह सुनकर केदारनाथ चौबे भी खुद को रोक नहीं पाए कि आखिर क्या यह लड़की उनकी पत्नी लोग भी देवी ही है।
जब शांति देवी से उनके घर वाले उसके पति का नाम पूछते थे तो वह उसका नाम नहीं बताती थी जबकि बाकी उसके बारे में सब कुछ बता देती थी जैसे की उनका रंग गोरा है उनके बाएं गाल के ऊपर एक मस्सा है और वह पढ़ने वाले चश्मे का प्रयोग करते हैं। शांति देवी बोलचाल में आम मथुरा की भाषा का इस्तेमाल करती थी।
इधर अपने भाई से अपनी मृत पत्नी लुगदी देवी के पुनर्जन्म के बारे में जानकर केदारनाथ चौबे भी खुद को उससे मिलने से रोक नहीं पाए। शांति देवी अब लगभग 9 साल की हो चुकी थी और केदारनाथ का बेटा जिस को जन्म देने के 10 दिन बाद में लुगदी देवी की मृत्यु हुई थी वह करीबन 11 साल का था।

Shanti Devi Rebirth

 लुगदी देवी का जन्म 18 जनवरी 1902 को हुआ था और उनकी मृत्यु 4 अक्टूबर 1925 को हुई थी।
 केदारनाथ चौबे अपनी मां अपने बच्चे और अपनी तीसरी पत्नी के साथ मथुरा से दिल्ली चले आए। जब वह शांति देवी के घर पहुंचे तो शांति देवी से उनका परिचय उन्हें केदारनाथ चौबे का भाई बताकर करवाया गया तो शांति देवी ने शरमा कर लज्जा के साथ कहा कि नहीं यह मेरे पति हैं और इनके साथ यह मेरी सास है और यह मेरा बेटा है।
 जब उसके घर वालों ने उनसे पूछा कि तुम्हारी मृत्यु तो तुम्हारे बेटे को जन्म देने के 10 दिन बाद ही हो गई थी तो तुमने तो उसे अच्छे से देखा भी नहीं फिर तुम्हें कैसे पता कि
 यह तुम्हारा बेटा ही है??
तो उसने कहा कि मैंने इसे जन्म दिया है तो मुझे मेरे अंतर्मन से पता चल गया यह मेरा ही बेटा है। में मां हूं अपने खून को पहचानने में भूल नहीं कर सकती। केदारनाथ चौबे और उसके परिवार ने शांति देवी से बहुत सवाल पूछे और उसने हर सवाल के जवाब दिए और जवाबों को सुनकर केदारनाथ चौबे का पूरा परिवार सन्न रह गया।
 जब शांति देवी के माता पिता ने केदारनाथ चौबे के परिवार के लिए खाना बनाने की बात की तो शांति देवी ने उनके मनपसंद खाने का नाम अपने घरवालों को बताया और यह वास्तव में उसके ससुराल वालों का मनपसंद खाना था। जिसके बारे में उस बच्ची से जानकर जो उनसे कभी मिली भी नहीं और जिसने कभी उनके घर को देखा भी नहीं वह सारे आश्चर्यचकित रह गए दिल्ली से रवाना होने से पहले केदारनाथ चौबे ने शांति देवी से अकेले में बात करनी चाहि उसके घरवालों की सहमति मिलने के बाद वे शांति देवी को लेकर एकांत में गए और उनसे कुछ बात की शांति देवी ने अपने पति केदारनाथ चौबे से जो कहा उसे सुनकर उन्हें पूरा विश्वास हो गया की यह उनकी पत्नी लुगदी ही है जिसने दोबारा जन्म लिया है। शांति देवी ने अपने पति केदारनाथ चौबे से पूछा कि आपने मुझसे वादा किया था कि आप तीसरी शादी नहीं करेंगे परंतु आपने वह कर ली, आपने मेरे साथ किया वादा तोड़ दिया।
 केदारनाथ चौबे ने शांति देवी के घरवालों को कहा की है बच्ची जो भी कह रही है वह बातें मेरे और मेरी पत्नी लुगदी देवी के अलावा किसी अन्य को नहीं पता थी। अब यह बात धीरे-धीरे बाहर फैलने लगी थी और देश की नेशनल मीडिया में भी यह बात फैल चुकी थी। महात्मा गांधी के पास भी यह बात पहुंची उन्होंने भी इस मामले में अपना दखल दिया और भारत के कुछ प्रबुद्ध लोगों के साथ मिलकर एक टीम का निर्माण किया जिन्हें इस केस की छानबीन के लिए लगाया गया 15 नवंबर 1935 को महात्मा गांधी जी ने Reincarnation Research का गठन किया था।
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महात्मा गांधी द्वारा गठित टीम में कुछ सरकारी अधिकारी कुछ मीडिया से बड़े पत्रकार कुछ वकील और जज शामिल थे। इस टीम के गठन होने के कुछ दिन बाद में यह लोग शांति देवी से मिलने पहुंचे और इस केस की पूरी छानबीन करने लगे।
 यह टीम शांति देवी को अपने साथ लेकर मथुरा के लिए दिल्ली से रेल से निकल गई। मथुरा रेलवे स्टेशन पहुंचकर जब टीम के सदस्यों ने शांति देवी से कहा कि आप तो खुद को मथुरा का ही बताती है तो 
आपको अपने घर का भी पता याद होग? 
क्या आप रास्ता जानती है??
तो शांति देवी ने कहा कि उसका घर रेलवे स्टेशन से दूर है तांगे से जाना पड़ेगा पैदल नहीं जा सकते। शांतिदेवी को बात मानकर पूरी टीम शांति देवी के साथ तांगे पर सवार होकर चल पड़ी। टीम के सदस्यों ने तांगा चालक से कहा था कि जो यह बच्ची रास्ता बताएं उसी रास्ते पर चलना है। शांति देवी ने तांगे वाले को रास्ता बताया और वह उसी द्वारकाधीश मंदिर के सामने पहुंचे जिसका जिक्र वह हर बार करती थी। उस मंदिर के पास पहुंचकर शांति देवी ने अपने घर को ढूंढा और अपने घर के अंदर गई और उसके साथ गई। उस पूरी टीम के सदस्य वहां उसके साथ जाकर जब उससे बाकी राज पूछने लगे तो शांति देवी भी उनका निर्भीक होकर जवाब देने लगी। जैसे 
उसने पैसे कहां छुपाए थे??
 तो उसने घर के अंदर रखें कुछ गमलों के नीचे खुदाई की परंतु वहां पर पैसे नहीं थे जब शांति देवी ने कहा कि उसने पैसे इसी जगह पर छुपा कर रखे थे तब उस टीम के सदस्य ने पूछा कि अगर आपने खुद रखे थे तो आपको याद तो होंगे कि कितने रुपए थे?? 
तो शांति देवी ने जवाब दिया कि पूरा तो नहीं याद परंतु तकरीबन 150 रुपए थे शांति देवी के पति केदारनाथ चौबे ने टीम के सदस्यो को बताया कि शांति देवी की देवी की मृत्यु के कुछ समय बाद में उसने पैसे निकाल लिए थे।
 जब घर के आंगन में स्थित कुएं के बारे में शांति देवी से पूछा गया कि आपने तो कहा था कि घर के आंगन में एक कुआं है परंतु अभी वह तो यहां है ही नहीं,
 तो शांति देवी भी जिद्द पर अड़ गई कि नहीं मेरे घर के आंगन में कुआं हुआ करता था में झूट नही बोल रही हूं, कुएं के स्थान पर अब उस जगह पर एक पक्का फर्श था। केदारनाथ चौबे उठ कर आए और उन्होंने घर के आंगन में से एक बड़े से पत्थर को हटाया तो सच में वहां पर एक कुआं था। यह देख कर उन लोगो को भी विश्वास हो गया की ये लड़की झूट तो नही कह रही हैं इसकी बातो में सच्चाई हैं।
यह घटना आज तक एक रहस्य ही है कि कैसे एक छोटी सी बच्ची को ऐसे इंसान के पूरी जानकारी थी जिसको उसने कभी देखा ही नहीं, कभी वह उस शहर भी नहीं गई, कभी वह घर भी नहीं गई थी,
 परंतु फिर भी उसे उस शहर की भाषा अति थी, उसे उस घर का भी हर एक कोना पता था। शांति देवी ने ताउम्र शादी नहीं करने का फैसला लिया क्योंकि शांतिदेवी केदारनाथ चौबे को ही अपना पति मानती थी। शांति देवी ने जिंदगी में कभी शादी नहीं की और अंत में 27 दिसंबर 1987 को इनकी मृत्यु हो गई थी।
 शांति देवी के जीवन के ऊपर कई किताबें भी लिखी गई है और यह एक सत्य घटना है जिसमें पुनर्जन्म की वह कहानी है जिसमें स्वयं महात्मा गांधी को भी दखल देना पड़ा था आज भी इस भारत में और इस पूरे संसार में कई शांति देवी ऐसी हैं जिन्हें अपने पूर्वजन्म का याद है।
ऐसी ही और सच्ची घटनाओं के बारे में जानने के लिए हमें हमारे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर फॉलो कीजिए।
धन्यवाद🙏🙏

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