Bhangarh Fort Ka Itihas
भारत विविधताओं वाला देश हैं। हमारे देश में जगह जगह पर रहस्य और परालोकिक शक्तियों से प्रभावित कई जगह हैं जिनका खुद का एक अलग इतिहास हैं। भानगढ़ किला भी उसी रहस्य और इतिहास के एक युग को खुद में समेटे हुए हैं।
अरावली की सुंदर पर्वतमालाओ में बसा हुआ यह शहर आज भी अपनी विशालता को बचे हुए खंडहरों के माध्यम से संसार को दर्शाता हैं।
Bhangarh Fort Ka Sach
भानगढ़ किले को केवल भारत में ही नहीं पूरे संसार में सबसे ज्यादा भूतिया जगह में शामिल हैं। भारत में पहले नंबर पर भूतिया जगह में भानगढ़ का ही स्थान हैं।
वर्तमान समय में कुछ लोग आधुनिकता के चक्कर में इसे केवल किंवदती मानने लगे हैं जबकि ऐसा नही हैं और ये बात उन लोगो को तब समझ में आती हैं जब उनके खुद के साथ या उनके किसी अपने के साथ कुछ रहस्यमई घटना हो।
भारत सरकार ने इस किले के बाहर एक बोर्ड लगा रखा हैं जिसमे लिखा हुआ हैं की “सूर्यास्त के बाद और सूर्योदय से पहले इस किले में रुकना मना हैं।”
Bhangarh ka निर्माण 1573 में हुआ था और यह किला किसी समय पर जयपुर महाराजा मानसिंह के भाई माधो सिंह की राजधानी हुआ करती थी।
ऐसा क्या हुआ था की आज ये किला सबसे भूतिया जगह में शामिल हो गया ??
भानगढ़ किले के भुतहा होने को लेकर अलग अलग कहानियां है परंतु मुख्य रूप से 3 या 4 कहानियां ऐसी हैं जो जनता में ज्यादा प्रचलित हैं।
Bhangarh Fort Kahani
एक कहानी बालीनाथ और इस किले के निर्माता के बारे में भी हैं। कहा जाता हैं की बलीनाथ जी ने राजा से कहां था की आप इस किले का निर्माण कीजिए परंतु ध्यान रखिए की इस किले की परछाई मेरी तपस्या स्थली पर नही पड़े।
लोगो की माने तो कहा जाता हैं की इस किले का निर्माण करने वाले कारीगरो और राजा ने साधु की बात का ध्यान नहीं रखा और महल की ऊंचाई ज्यादा ही गई और उस महल की परछाई बालीनाथ की कुटिया के ऊपर तक आ गई तो उन्होंने इसे राज्य को श्राप दिया कि भानगढ़ तबाह हो जायेगा।
एक कहानी ये भी हैं की 1783 में एक अकाल पड़ा था जिसमें भानगढ़ किले में रहने वाले लोगों के लिए अपना जीवन यापन करना मुश्किल हो गया था। भानगढ़ के निवासियों ने उस जगह से निष्कासित होना शुरु कर दिया और धीरे धीरे भानगढ़ किला एक खंडहर में तब्दील हो गया।
इस किले के भुतहा होने की वास्तविक कहानी कुछ और ही हैं, और इसी कहानी को मुख्य घटना माना जाता हैं इस गौरवशाली किले के एक भुतहा जगह में तब्दील होने में।
वर्तमान में यह किला भारतीय पुरातत्व विभाग के अधीन है। इस किले के आज भी रहस्यमई होने की घटनाओं को किसी न किसी रूप से भारतीय पुरातत्व विभाग भी मानता हैं।
पूरे भारतवर्ष में भारतीय पुरातत्व विभाग ने कई किलो और पुरानी हवेलियों को अपने अधीन कर रखा है और जहां जहां पर भारतीय पुरातत्व विभाग के अधीन कोई पुराना किला या हवेलियां है। उस क्षेत्र के आसपास में भारतीय पुरातत्व विभाग का एक कार्यालय अवश्य होता है परंतु भानगढ़ के उदाहरण में यह बिल्कुल विपरीत है भानगढ़ किले को भारतीय पुरातत्व विभाग ने रिजर्व्ड तो कर रखा है परंतु इसके आसपास में भारतीय पुरातत्व विभाग का बाकी क्षेत्रों की तरह कोई कार्यालय नहीं है। यह इकलौता मामला हैं जिसमे भारतीय पुरातत्व विभाग ने अपनी आधिकारिक क्षेत्र में कार्यालय नहीं हैं।
Bhangarh Kila Real Story
भानगढ़ किले की वास्तविक कहानी इन सब घटनाओं से थोड़ी सी अलग है और उसी कहानी को सबसे ज्यादा मान्यता मिली हुई है यह इतिहास की किताबों में भी वर्णित है और भुतहा जगहों के बारे में छानबीन करने वालों के डाटा में भी कहा जाता है कि भानगढ़ किले की महारानी रानी रत्नावती बहुत ही सुंदर महिला थी। जिनके रूप और सौंदर्य को देखकर बड़े-बड़े राज्यों में राजकुमार और राजा उन पर मोहित हो जाते थे। रानी रत्नावती के सौंदर्य के सामने उस समय के रजवाड़ों में कोई भी रानि या राजकुमारी नहीं हुआ करती थी।
Bhangarh Fort Kahani
भानगढ़ किले के बारे में बहुत सी कहानियों में रानी रत्नावती को भानगढ़ की राजकुमारी बताया जाता है जबकि वास्तविकता में वह भानगढ़ की महारानी थी। रानी रत्नावती के खूबसूरती के चर्चे देश विदेश में चारों तरफ फैले हुए थे।
भानगढ़ राज्य उस समय का अति विकसित राज्य हुआ करता था कहा जाता है कि आसपास के राज्यों में उस समय पर भानगढ़ में आने वाले व्यापारियों की संख्या सबसे ज्यादा हुआ करती थी भानगढ़ में एक बहुत बड़ा बाजार लगता था जिसमें देश विदेश से व्यापारी अपने सामान को खरीदने और बेचने आते थे और इसके लिए की मुख्य कहानी भी इसी बाजार के इर्द-गिर्द शुरू होती है।
Bhangarh Ke Kile Ki Kahani
एक बार रानी रत्नावती बाजार में अपनी सहेलियों के साथ घूम रही थी तभी उन्हें एक इत्र की दुकान दिखी।
रानी रत्नावती को सुगंधित इत्र लगाने का शौक था इसलिए वह कदाचित ही इत्र की दुकान की ओर चल पड़ी और इत्र के बारे में दुकानदार से जानकारी लेने लगी। उसी समय पर एक तांत्रिक जिसका नाम सिंधुखेड़ा बताया जाता है वह भी उसी इत्र की दुकान के आस पास था और उसकी नजर रानी रत्नावती के सुंदर चेहरे पर पड़ी और वह रानी रत्नावती पर मोहित हो गया। सिंधुखेड़ा एक पहुंचा हुआ तांत्रिक था जिसे तांत्रिक क्रिया और सिद्धियो का बहुत ज्ञान था।
तांत्रिक को लगा कि वह रानी को सच में प्रेम करने लगा है जबकि वास्तविकता में यह उसकी कामवासना थी। उस तांत्रिक ने रानी रत्नावती को अपने वश में करने के लिए अपनी तांत्रिक सिद्धियो का उपयोग करना उचित समझा। उसने इत्र की दुकान में उपलब्ध इत्र की डिब्बी पर अपने तंत्र मंत्र से उसे अभिमंत्रित कर दिया।
तांत्रिक सिद्धियों में इतनी शक्तियां होती है कि अगर किसी अभिमंत्रित वस्तुओं को कोई इंसान छू लेता है तो उसके अंदर निहित तांत्रिक शक्तियां छूने वाले इंसान पर प्रभाव डालती है। ये आज भी होता हैं और काफी पहुंचे हुए तांत्रिक ऐसे हैं जो आज भी ये सब कर सकते हैं, और कुछ तांत्रिक तो करते भी हैं।
तांत्रिक ने अपनी सिद्धियों के सहारे उस इत्र की शीशी को इस तरीके से अभिमंत्रित किया कि अगर उस इत्र को अगर रानी रत्नावती लगा लेती तो वह उसी समय पर अपनी सुध बुध खो बैठती और सीधे उस तांत्रिक के पास आ जाती परंतु संयोगवश इत्र की डिब्बी पर झाड़-फूंक करते हुए रानी रत्नावती की किसी सहेली ने उस तांत्रिक को देख लिया था। रानी रत्नावती को इत्र की शीशी पसंद आ गई और वह उसे अपने साथ अपने महल लेकर जाने लगी, थोड़ी दूर जाने पर ही रानी रत्नावती की सहेली ने उन्हें बताया कि उस जगह पर उपस्थित उस तांत्रिक व्यक्ति ने इस इत्र की शीशी के ऊपर कुछ झाड़-फूंक किया था जिससे रानी थोड़ी सचेत हो गई, क्योंकि उस समय में तंत्र मंत्र का प्रभाव अधिक रहता था। लोग इन सबके अंदर आज से ज्यादा विश्वास करते थे।
रानी रत्नावती को जब अपनी सहेली से इत्र के अभिमंत्रित होने का पता चला तो उसने किसी अनहोनी से बचने के लिए रास्ते में चलते हुए उस इत्र की शीशी को फेंक दिया। संयोगवश वह तांत्रिक भी रानी रत्नावती के पीछे पीछे ही चल रहा था क्योंकि उसे मालूम था कि अगर यह इत्र रानी रत्नावती अपने शरीर पर लगाती हैं तो फिर वह उस इत्र के वश में होकर तुरंत तांत्रिक के पास आ जाएगी।
रानी रत्नावती ने इत्र की शीशी को फेंक दिया और आगे बढ़ गई संयोगवश वह शीशी वहां पड़े एक बड़े से चट्टान के ऊपर गिर कर टूट गई और उसका सारा इत्र उस चट्टान के ऊपर गिर गया। उस तांत्रिक ने पीछे से यह घटना देख ली और उसे मालूम था अब यह चट्टान भी उसके वशीभूत हो चुकी है क्योंकि वह अपनी तांत्रिक शक्ति हो अच्छी तरीके से जानता था जैसे ही वह शीशी टूट कर गिर गई उस बड़ी सी चट्टान पर तो उसके बाद इत्र की वशीकरण शक्तियों के अभिभूत होकर धीरे धीरे पीछे की ओर लुढ़कने लगी तांत्रिक को पता चल चुका था कि अब यह चट्टान उसके प्राण ले लेगी तो उसने मरने से पहले श्राप दिया कि “इस भानगढ़ के किले में इस रानी के साथ रहने वाले हर एक इंसान और यह भानगढ़ किला पूरे तरीके से तबाह हो जाएगा और इन सब की आत्माएं ताउम्र इसी किले में भटकती रहेगी इनकी मुक्ति नहीं हो पाएगी”
वह पत्थर की चट्टान उस तांत्रिक को कोई चलते हुए चली गई और तांत्रिक की श्राप देने के बाद मृत्यु हो गई। इसी कहानी को ही इस किले की सच्ची घटना माना जाता हैं।
इस घटना के होने के कुछ दिन बाद ही भानगढ़ और पास हीं के राज्य अजबगढ़ के बीच युद्ध होने लगा। इसी युद्ध में भानगढ़ के अधिकांश लोग मारे गए। रानी रत्नावती भी इसी युद्ध में मारी गई थी। इस युद्ध के बाद ये किला पूरी तरह से तबाह हो गया था।
इस किले के बाद भानगढ़ किला पूरी तरह तबाह हो चुका था। आज भी लोगो का कहना हैं को भानगढ़ के किले में आज भी अजीब सी घटनाएं होती रहती हैं। भानगढ़ किले के आस पास बसे लोगो ने भी इन घटनाओं से परेशान होकर वो जगह छोर कर दूर जा के बस गए।
बुजुर्गो की माने तो इस किले में जो भी पूरी रात रुका था वह कभी वापिस नही आया।
भानगढ़ किले को आज भारत की सबसे भूतिया जगह माना जाता है इस जगह पर जाने के लिए आपका ह्रदय मजबूत होना चाहिए और अगर आप रात में इसके लिए में रुकना चाहते हैं तो आपका आत्मविश्वास और आत्मशक्ति सामान्य लोगों से बहुत मजबूत होनी चाहिए क्योंकि वर्तमान समय में भी कुछ लोगों के साथ इस किले के अंदर ऐसी घटनाएं हो चुकी है जो रहस्यमई हैं।
Real Incident In Bhangarh
सिनेमा जगत की एक अदाकारा जो किसी सीरियल में मुख्य किरदार निभा रही थी। एक बार अपनी टीम के साथ भानगढ़ के किले में शूटिंग के लिए रुके थे। वह अदाकारा एक नवयोवना थी और थोड़ी चुलबुली भी। अपने इसी व्यवहार के कारण वह भानगढ़ के किले को चारों तरफ से घूम घूम कर देख रही थी और संयोगवश रानी के किरदार में ही थी, हो सकता है कि जैसे लोग कहते हैं उस तांत्रिक की आत्मा आज भी उस जगह पर घूमती रहती है तो हो सकता है उस तांत्रिक की आत्मा ने उस अभिनेत्री को रानी की वेशभूषा में देखकर उसे रानी रत्नावती समझ कर अपनी कामवासना की पूर्ति करना चाहता हो।
उस सीरियल की टीम के साथ एक ऐसी घटना हुई जो उनसे आज भी भुलाए नहीं भूलती है और भानगढ़ किले का नाम उनके यादों में हमेशा के लिए कैद हो चुका है। किसी टीम के सदस्य की गलती के कारण वह अभिनेत्री सूर्यास्त के बाद भी उसी भानगढ़ के किले में टीम के सदस्यों से पीछे छूट गई और उसे समय का ध्यान नहीं रहा। जब सीरियल की टीम आधा रास्ता तय कर चुकी थी, उसके बाद उन्हें एहसास हुआ कि सीरियल की मुख्य अदाकारा को उसी किले के अंदर पीछे छूट चुकी है।
उन लोगों ने उस अभिनेत्री को वापस लाने के लिए अपनी गाड़ियों को वापस भानगढ़ की तरफ मोड़ दिया और वापस भानगढ़ किले में जाने लगे उस अभिनेत्री के साथ कुछ ऐसी रहस्यमई घटनाएं हुई थी उस रात को जो एक बुरे सपने की तरह था। सूत्रों के अनुसार वह अभिनेत्री, जब टीम के बाकी सदस्य रात के चौथे प्रहर में वहां पहुंचे तो वह नग्न अवस्था में भानगढ़ किले के अंदर मौजूद हनुमान जी के मंदिर में बेहोश पड़ी मिली थी। उस अभिनेत्री के साथ उस रात को उस किले में क्या हुआ था?? और कैसे उसकी जान बची??
यह तो वह खुद ही बता सकती है, परंतु भानगढ़ के किले में कुछ परालौकिक शक्तियों के होने का एहसास सीरियल की टीम को अपने उपकरणों में हो गया था।
कुछ ऐसी आवाजें, कुछ ऐसे चेहरे, कुछ ऐसी परछाइयां उनके कैमरे और अन्य उपकरणों में कैद हो गई जो आज के समय की तो नहीं थी भानगढ़ का किला आज भी पूरे संसार में भुतहा जगह में ऊपर के स्थान पर आता है और देश विदेश से कई लोग इसके बारे में छानबीन करने अभी भी आते रहते हैं।
स्थानीय लोगों से बातचीत करने पर पता चला कि आज के समय में भी वह लोग इस किले के अंदर रात में जाने से डरते हैं कुछ अपवाद जैसे कि नशे करने वाले और अवैध धंधे करने वाले लोगों ने इस जगह को या फिर इसके आसपास की जगह को अपना ठिकाना भी बना रखा है और कई बार सुरक्षा एजेंसियों की टीम ने यहां पर छापे भी मारे हैं और मादक पदार्थों की तस्करी करते हुए कई अपराधियों को पकड़ा है।
लोग चाहे जो कहे परंतु इस भानगढ़ के खंडहरों में कुछ तो ऐसा हुआ था जो आज भी जानना हमारे लिए पूर्णतया बाकी है इस किले में नकारात्मक शक्तियों का भंडार है और यह आप अनुभव कर सकते हैं।
परालौकिक शक्तियों के बारे में रिसर्च करने वाले कुछ लोगों ने वैज्ञानिक उपकरणों के साथ में भी भानगढ़ के किले में जाकर छानबीन की है और उन्हें वहां पर नकारात्मक एनर्जी के होने के सबूत अपने उपकरणों में मिले हम कितने भी आधुनिक हो जाए परंतु चाहे आप मानो या ना मानो कुछ ना कुछ तो अस्तित्व है इन सब चीजों का भी जो आज भी यह अपना खौफ लोगों में बनाए रखती है।