Real Horror Stories के अगले क्रम में हम आपके लिए लेकर आए हैं आज एक और नई भूतिया कहानी जिसके बारे में जानकार आप चौंक जाओगे की आखिर क्या कोई इंसान मरने के बाद भी अपने हत्यारों से अपनी हत्या का बदला ले सकता हैं।
यह कहानी हैं उत्तरप्रदेश के रहने वाले राजू की, जिनके साथ यह घटना आज से 3 साल पहले 2018 में घटित हुई थी।
आगे की कहानी खुद राजू के नजरिए से जानने की कोशिश करते हैं।
Bihad me bhoot
नमस्कार, मेरा नाम राजू हैं और में Uttar Pradesh के बरेली के पास ही के एक छोटे से गांव का रहने वाला हूं। में खेती का ही काम करता हूं जिससे मेरे परिवार का जीवन यापन हो जाता हैं।
यह घटना मेरे साथ आज से करीबन 3 साल पहले हुई थी जब एक रात को में शहर से आए हुए बहुत लेट हो चुका था। यह दीवाली के आस पास का समय था तो में दीपावली की खरीददारी के लिए पास ही शहर में गया हुआ था। शाम में बस से आते आते मुझे अंधेरा हो चुका था।
Bus Stand से मेरा घर करीबन 2 किलोमीटर दूर था। में गांव के पास में ही खेतो में रहा करता था।।उत्तरप्रदेश में वर्तमान सरकार के आने से पहले बहुत से अपराध हुआ करते थे जिसके अपराधियों को सरकार का भी समर्थन रहता था।
आज से कुछ साल पहले मेरे खेत की तरफ जाने वाले रास्ते पर बीच में एक भयंकर घना बीहड़ हैं जिसके उस समय में अपराधियों का बोलबाला हुआ करता था। रात को अंधेरा होने के बाद में वहां से औरते तो जाना छोड़ो, आदमी भी निकलने से डरता था। किस अपराधी के लालच का शिकार कोई आम इंसान हो जाए यह कोई नहीं जानता था।
जब से भाजपा सरकार आई तब से अपराधियों में इतनी हिम्मत नही हैं की वे पहले की तरह ऐसी हरकते कर सके।
उस रात मुझे घर जाते जाते बहुत देर हो चूंकि थी। में बीहड़ के रास्ते से अपने घर की ओर जाने लगा। यह रास्ता रात में बहुत सुनसान हो जाता था। बीहड़ बहुत पुराना और घना होने के कारण यहां पर अक्सर जंगली जानवरों का खतरा भी बना रहता था।
मुझे घर जाने की थोड़ी जल्दी थी, मेरे बच्चे मेरा घर पर इंतजार कर रहे थें। उन्हें उम्मीद थी की पापा शहर से उनके लिए कुछ समान ले कर आयेंगे और उनकी उम्मीद के मुताबिक में अपनी हैसियत के अनुसार बच्चों के लिए कुछ खिलोने और खाने पीने का सामान शहर से ले कर आया था।
रात को बहुत कम में इस रास्ते से गुजरता था। आज के समय में इस बीहड़ में अपराधियों का भय तो नही हैं परंतु फिर भी जंगली जानवरों का भय बना रहता हैं।
में बीहड़ में बनी पगडंडी के सहारे अपने घर की ओर जाने लगा। मुझे कुछ आवाजे सुनाई दे रही थी पर मेने उन्हें नजरंदाज किया क्योंकि वह आवाजे बहुत दूर से आ रही थी।
यह आवाजे अब पास में ही आने लगी थीं, आवाजों को ध्यान से सुनने पर ऐसा लग रहा था की शायद कोई आपस में लड़ रहे हैं किसी बात पर।
मेने जिधर से आवाज आ रहीं थीं उधर जाकर देखने का सोचा की शायद किसी को सहायता की जरूरत हो।
मैने जहां यह झगड़ा हो रहा था उस तरफ जाकर देखने की कोशिश की, की आखिर वहां हो क्या रहा था?
मेने देखा की कुछ गुंडे एक युवक को पीट रहे थे, ओर उससे कुछ समान लेने की कोशिश कर रहे थें। वह युवक उनसे अपनी जान की भीख मांग रहा था, देखने से ऐसा लग रहा था की से उस युवक को जान से मारने की कोशिश कर रहे थे।
Who killed Him?? And why??
जब मेने थोड़ा ध्यान से देखा तो पता चला की वह युवक हमारे गांव का ही एक लड़का था जिसने नेता के खिलाफ RTI के तहत सूचना मंगवाकर कुछ कार्यवाही करवाई थी।
उस युवक का नाम सुनील था, परंतु सुनील तो पिछले कुछ महीनों से घर से गायब था। किसी को भी इसके बारे में पता नही था की आखिर अचानक से सुनील कहां गायब हो गया था।
एक दिन वह शहर किसी काम से गया हुआ था और फिर वापिस कभी गांव नही लोटा, गांव में यह अफवाह फैली हुई थी की उसने किसी नेता से पैसे लेकर अपने आपको बेच दिया और कहीं दूसरी जगह जाकर बस गया था।
जो लोग उसे मार रहे थे उनमें से एक दो को मेने पहले भी देखा हुआ था वह लोग एक स्थानीय नेता के लिए काम करते था, जिसका अवैध धंधा चलता था।
सुनील ने शायद उनके अवैध धंधे के बारे में कोई जानकारी हासिल कर ली थी इसीलिए शायद उसे मारा जा रहा था।
मेरी उसे गांव में कई बार मुलाकात हो जाती थी, बहुत ही सभ्य लड़का था।
मेने उसे बचाने का सोचा और उसके परिवार वालो को फोन कर के बता दिया की सुनील बीहड़ में हैं और कुछ लोग उसे मारने की कोशिश कर रहे हैं।
गांव से कुछ लोगो को लेकर उसके परिवार वाले जल्द ही बीहड़ की तरफ आने लगे। वे लोग उसे मारते पिटते अब बीहड़ के और अंदर की तरफ लेकर जा रहे थे।
गांव वाले जब तक बीहड़ में पहुंचे वह मेरी आंखो से ओझल हो चुके थे। रात के घने अंधेरे में अब उनको ढूंढना थोड़ा मुश्किल भी हो रहा था।
हमने रात में पूरा बीहड़ ढूंढ लिया परंतु न तो हमे सुनील मिला और न ही वो गुंडे जो उसको मार रहे थे।
अगले दिन सुबह जाकर उसके परिवार वालो और गांव वालो ने थाने में रिपोर्ट करवा दी की, सुनील को मारने की कोशिश कुछ स्थानीय गुंडे कर रहे थे।
पुलिस ने जब गुंडों की पहचान करने के लिए मुझे वंचित अपराधियों की तस्वीर दिखाई तो मुझे उनमें से दो लोगो को शक्ले याद थी तो मैने उनको बता दिया।
पुलिस ने मेरे जवाब देने के बाद में उल्टा मुझ पर ही नशे में होने का आरोप लगाने लगे, उनका कहना था की जिन लोगो को मेने कल रात सुनील से मारपीट करते देखा हैं वह दोनो आज से करीबन 3 महीने पहले ही मर चुके हैं।
यह सुनकर सारे गांव वाले भी सकते में आ गए की आखिर एसे केसे हो सकता हैं.. ??
गांव के सभी लोग जानते थे की में कोई नशा नहीं करता हूं इसलिए उन्हें मेरी बात पर विश्वास था कि में झूट नही बोल रहा हूं।
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गांव वाले वहां से वापस हमारे साथ पुलिस को लेकर बीहड़ में आए और उस जगह पर तलाश करने लगे जहां रात को मुझे वो लोग दिखाई दिए थे।
बीहड़ में काफी देर तक तलाश करने के बाद पास ही में हमे एक मानव कंकाल मिला, पुलिस में उसे अपनी Custody में लेकर उसकी जांच करने के लिए Forensics Lab भेज दिया ।
जांच से पता चला की यह किसी युवक का कंकाल था जिसकी मौत सर पर किसी धारधर हथियार की चोट लगने से हुई थी।
पुलिस ने सुनील के घरवालों के ब्लड सैंपल भी DNA जांच के लिए ले लिए ताकि यह पहचान हो सके की आखिर वह कंकाल कहीं सुनील का तो नही था।
पुलिस ने गांव वालो को बताया की जिन अपराधियों की पहचान मेने की थी वह भी ऐसी ही धारधर हथियार के सर पर चोट लगने से मारे गए थे।
DNA जांच के बाद यह साबित हो चुका था की वह कंकाल सुनील का ही था जिसकी हत्या की गई थी और शव को बीहड़ में छुपा दिया गया था।
में आज तक सकते में हूं की आखिर वह लोग मुझे ही क्यों दिखाई दिए थे, अगर सुनील और वो बाकी ले लोग मर चुके थे तो मेरी आंखो के सामने केसे एकदम जिंदा थे??
वे लोग चाहे जो हो, परंतु एक बात तो हैं मेरे साथ हुई उस घटना के कारण कम से कम यह तो पता चल गया था कि सुनील कहीं भागा नही था और ना ही बिका था जबकि उसने तो सच के लिए उन अपराधियों के हाथो अपनी जान गंवा दी थी।
कुछ लोगो ने हमे बताया की जिन लोगो ने उसकी हत्या की था उनके शव भी एसे ही रहस्यमय तरीके से मिले थे, ना तो हत्या करने वाले हथियार का पता चल पाया था और ना ही हत्यारे का,
तो क्या सुनील ने अपनी मौत के बाद भी अपने हत्यारों को मार कर अपनी मौत का बदला लिया था??
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