भूतो से जुड़ी कई कहानियां हम बचपन से सुनते आए हैं। हमारे बड़े बुजुर्ग हमे बचपन में भूतो की कहानियां सुनाते थे इनमें से काफी कहानियां सच्ची भी होती थी तो कुछ केवल कल्पना मातृ भी होती थी।
Kya Aatmayen Hoti Hain??
हमारी हर एक कहानी सच्ची घटना पर आधारित होती हैं। हम वास्तविक कहानी से कोई फेरबदल नही करते हैं सिवाय असली नाम और पत्ते के। कहानी जिसके साथ घटित होती हैं उसकी पहचान गोपनीयता के चलते बदल दी जाती हैं।
आज की कहानी एक सच्ची घटना हैं जो राजस्थान के ही रहने वाले एक पंडित जी की हैं। एक छोटे से गांव में पंडित जी अपने छोटे से परिवार के साथ जीवन यापन कर रहे थें। इनके परिवार में ये खुद पंडित हीरालाल की मिश्र इनकी पत्नी श्रीमती गौमती देवी और इनके दो बच्चे राजकुमार और शिवानी।
Pandit Ji Kon The Jinhone Bhooto Ki Shadi Karvayi??
पंडित जी बहुत ज्ञानी थे। गांववालो का कहना था की वे बचपन में ही काशी में किसी गुरुकुल में जाके किसी सिद्ध साधु से शिक्षा ग्रहण कर के आए थे। इनका मान सम्मान बहुत ज्यादा था उनके गांव में भी और आस पास के गांव में भी।
पंडित जी को देशी घी के बेसन के लड्डू बड़े पसंद थें। किसी शादी वगेरह में जब पंडित जी पूजा कराने जाते थे तो यजमान पंडित जी के लिए देसी घी के लड्डू अलग से घर के लिए और पैक कर के देते थे।
स्वभाव से बहुत सी सरल इंसान थे किसी के प्रति कोई द्वेष भावना नहीं, सबको समान नजरो से देखते थें। किसी भी इंसान में कोई भेदभाव नहीं करते थे। किसी गरीब के घर भी पूजा करवाने उतनी ही लगन और खूसी से जाते थे जितना कि किसी अमीर के घर जाने में। यजमान से कभी दक्षिणा कभी मुंह से बोलकर नही मांगी, खुशी से यजमान ने जो से दिया उसे सहर्ष स्वीकार किया और घर चले गए।
कार्तिक के महीने में शादियां बहुतायत से होती हैं। पंडित जी को उसी समय उनके ससुराल के पास के ही गांव के कोई यजमान अपनी बेटी की शादी में पूजा करवाने के लिए बुलाने आएं। पंडित जी के पास इस दिन का कोई और काम नही था तो उन्होंने हां कर दी।
शादी वाले दिन पंडित जी समय से तैयार होकर यजमान के घर के लिए निकल पड़े। रास्ते में कोई जान पहचान वाला मिल गया तो उसके ऊंटगाड़ी में बैठकर पंडित जी आराम से यजमान के गांव पहुंच गए। शाम का समय हो चुका था पंडित जी के जाते ही यजमान ने पंडित जी को चाय पिलाई और उनकी कुशलक्षेम पूछी।
कुछ देर इधर उधर की बाते करने के बाद में पंडित जी पूजा की तैयारी करने लगे। बारात अब यजमान के घर आ गई थीं और बारात में आने वाले कुछ बड़े बुजुर्ग पहले से आके मंडप के बैठ गए और पंडित जी और वाधुपक्ष के अन्य लोगो से बाते करने लगे। वरमाला की रसम पूरी होने के बाद में वर और वधू दोनो मंडप में आ गए और पंडित जी ने पूर्ण विधिवत उनके फेरे संपन करवाएं।
Kya Bhooto Ki Bhi Shadi Hoti Hain??
शादी का काम करवा कर अब पंडित जी अपने घर की ओर निकलने का सोचने लगे, रात के करीबन दो का समय हो चुका था। कुछ देर बैठकर चाय पी कर सोचने के बाद पंडित जी अपने ससुराल की ओर ये सोचकर कदम बढ़ाने लगे की इतनी रात में घर तक जाना संभव नहीं हैं। रास्ते में बीहड़ पड़ता हैं जिसके जंगली जानवरों के होने का खतरा ज्यादा हैं इसलिए रात में ससुराल में आराम कर के सुबह घर के लिए निकल जाऊंगा।
यजमान के घर से ससुराल में जाने के लिए करीबन 20 मिनट का समय लगता और पंडित जी धीरे धीरे अपने कदम ससुराल की ओर बढ़ने लगें। रास्ते में एक बार चिलम पीने का मन हुआ तो कहीं बैठकर चिलम बना कर पी और फिर से रास्ते के लिए निकल पड़े।
ससुराल के गांव में प्रवेश करने पर उन्हें थोड़ी चहल पहल लगी, इतनी रात के शोर शराबा मतलब किसी के शादी होगी।
पंडित जी चुपचाप अपने कदम ससुराल की ओर बढ़ान
लगे। एक गली में प्रवेश करने के बाद उन्होंने देखा को वहां चारो तरफ रोशनी से सजावट हो रखी हैं और बहुत से लोग साफा लगाए इधर उधर घूम रहे हैं।
पंडित जी ने एक नजर रोशनी से नहा रही उस हवेली की ओर देखा और मंत्रमुग्ध होकर मन ही मन में अतिसुंदर सजावट बोल कर आगे निकल पड़े।
Us Sunsan Haveli Me Us Rat Itni Roshni Kyo Thi??
“अरे पंडित जी जरा सुनिए, जरा रुकिए तो, ” पूछे से अचानक पंडित जी को ऐसी आवाज आई जिसे कोई उन्हें पुकार रहा हो, पंडित जी ने पीछे मुड़कर देखा तो दो तीन अधेड़ सी उम्र के इंसान उनकी तरफ दौड़कर आ रहे थे और उन्होंने सभी ने साफ पहन रखे थे।
ये लोग मुझे क्यों आवाज लगा रहे हैं यहीं सोचते हुए पंडित जी अपनी जगह पर ही खड़े हो गए, वे लोग अब पंडित जी के बिल्कुल सामने आ चुके थे।
हाथ जोड़कर पंडित जी को प्रणाम कर के उनका आशीर्वाद लेकर उन्होंने बताया की, उनके घर में आज उनकी बेटी की शादी हैं और जो पंडित जी हमारे यहां पूजा करवाने वाले थे उनकी अचानक से तबियत खराब हो गई इसलिए वो पूजा करवाने आ नही सके और शादियां ज्यादा होने के कारण कोई और पंडित जी हमे मिले नही, हम तो बहुत ही ज्यादा परेशान थे तभी आप हमे यहां से गुजरते दिख गए।
पंडित जी ने उनकी बात ध्यान से सुनी और फिर सोचने लगे वैसे भी अचानक से इतनी रात में ससुराल वालो के यहां जाना अच्छा नहीं होगा इसलिए रात में इनके यहीं पर पूजा करवा के सुबह घर के लिए यहीं से निकल जाऊंगा।
पंडित जी उन्हे पूजा करवाने के लिए हां कर दी और उनके साथ उस हवेली और और जाने लगे जो गांव के मुख्य चौक के पास थी और आज रोज से बिल्कुल विपरीत रोशनी से नहा रही थी।
Kya Vo Bhoot The??
पंडित जी फिर से हवेली की रोशनी और सुंदरता देखकर मंत्रमुग्ध होकर यजमान को कहा आपने हवेली बहुत सुजदार बनवाई हैं और आज तो इसकी खूबसूरती में जैसे चार चांद ही लगे गए हैं।
पंडित जी हवेली के अंदर आए और मंडप में जाकर बैठ गए। यजमान ने उन्हे सबसे पहले पानी और चाय पिलाई इसके बाद पंडित जी पूजा की तैयारी करने लगे।
वहां बैठे कुछ बुजुर्ग हुक्का पी रहे थे तो उन्होंने पंडित जी को भी हुक्का पीने के लिए आमंत्रित किया और पंडित जी भी इतने प्रेम से किए गए आग्रह को नकार न सके और उनके साथ बैठकर हुक्का पिया। हुक्का पीते पीते एक चाय और आ गई और पंडित जी और अन्य बुजुर्गो ने चाय हुक्के का आनंद लिया।
चाय और हुक्का पीने के बाद पंडित जी हाथ धोकर पूजा की तैयारी करने लगे।
मंडप में वेदी तैयार कर के पंडित जी ने पूजा करना शुरू किया। वर और वधू को भी अब मंडप में बुलाया गया, पंडित जी ने धीरे धीरे पाणिग्रहण संस्कार की विधि संपन्न करवाई।
यजमान पंडित जी के काम से काफी खुश थे और उनकी विनम्रता से प्रभावित हो गए। वधू पक्ष के लोगो ने पंडित जी को अच्छी दक्षिणा दी और उनको एक बैग भर के मिठाई दी।
लगभग सुबह का समय हो चुका था और पंडित जी को यजमान ने एक चाय और पिलाई इसके बाद पंडित जी अपने ससुराल न जाकर अपने घर के रास्ते की ओर ही बढ़ने लगे ये सोचकर कि अब तो थोड़ी देर में सूर्योदय हो हि जायेगा और सूर्योदय होने के बाद तो रास्ते पर और भी ज्यादा चहल पहल हो जाएगी जिसके बाद जंगली जानवरों का भी इतना ज्यादा डर नही रहेगा।
पंडित जी धीरे धीरे घर की ओर अपने कदम बढ़ाने लगे। पंडित जी लगभग आधा रास्ता तय कर चुके थे और अब इनका घर अब आधी ही दूरी पर बचा था। पंडित जी को चलते चलते थोड़ी थकान का अनुभव होने लगा था तो वे अब रुक कर आराम करने लगे l एक किसान जो पास ही के खेत में काम कर रहा था, जब उसने पंडित जी को अपने खेत की मेड़ पर बैठे देखा तो दौड़कर पंडित जी के पास आया और उन्हें पानी पिलाया। पंडित जी को प्रणाम कर के वह पंडित जी के लिए चिलम बनाने लगा, पुराने समय में चिलम पिलाना बड़े बुजुर्गों के लिए आदर का भाव होता था।
Kya Pandit Ji ne Bhooto Ki Shadi Karvayi??
वे लोग चिलम पी ही रहे थे की इतने में उस किसान की एक छोटी सी बच्ची पंडित जी और अपने पिता के लिए दो चाय बना कर ले आई। उस बच्ची का चुलबुलापन देखकर पंडित जी बहुत खुस हुए ओर उसे अपने पास बुलाकर अपने थैले में से मिठाई निकल कर उस बच्ची को दी।
मिठाई पाकर बच्ची बहुत खुस हो गई और खुसी से उछलते कूदते घर की ओर बढ़ गई।
पंडित जी भी अब किसान से विदा लेकर अपने घर की ओर निकल पड़े। रास्ते में उन्हें कोई जाने वाला मिल गया जो अपनी ऊंटगाड़ी से अपने खेत जा रहा था उसने पंडित जी अपनी ऊंटगाड़ी में बैठा लिया और उन्हें उनके घर के पास उतार दिया।
पंडित जी घर के अंदर गए और अपनी पत्नी को मिठाई से भरे थैले पकड़ा कर अपने नित्यकर्म से निवृत होने के लिए निकल पड़े। पंडित जी अब नहा धोकर तैयार थे और उन्होंने भगवान की पूजा अर्चना की तभी उनकी पत्नी कमरे में प्रवेश करती हैं और उनसे पूछती हैं की आज एक बैग ने आपने रख क्यों भर रखी हैं?
ये सुनते ही पंडित जी चौंक गए और बोले “भाग्यवान बावली हो गई हो क्या, बैग में तो मिठाई हैं जो यजमान से मिली हैं, सुबह सुबह ऐसा मजाक क्यों कर रही हो??”
Pandit Ji Ko Kese Pata Ki Chala Unhone Bhooto Ki Shadi Karvayi??
पत्नी ने उनको बताया की वो कोई मजाक नही कर रही हैं, सच में एक बैग में मिठाई नही हैं राख भरी पड़ी हैं। पंडित जी को जब विश्वास नहीं हुआ तो वे रसोई में खुद गए और उन्होंने देखा तो सच में एक बैग में रख भरी पड़ी थी।
पंडित जी आश्चर्य से चौंक गए की आखिर ये केसे हो सकता हैं जब यजमान ने दिया था तब तो उसमे मिठाई थी मेने खुद देखी थी अपनी आंखो से🤔🤔
पंडित जी थोड़ा सोच में पड़ गए और बोले आज तो ससुराल वालो ने मजाक कर दिया मेरे साथ😂😂
पंडित जी की पत्नी अपने पीहर का जिक्र सुनकर उनसे पूछती हैं की मेरे घरवालों ने अब क्या कर दिया आपके साथ??
पंडित जी उसे बताते हैं की जब में रात में शादी करवा कर देर हो जाने के कारण तुम्हारे घर की ओर जा रहा था रात में आराम करने के लिए तभी तुम्हारे गांव में कोई मिल गए जिन्हें शादी करवानी थी इसलिए मेने उनके घर भी पूजा करवाई और ये बैग उन्होंने ही दिया था मिठाई का भर कर मेरी आंखों के सामने तो,बाद में पता नहीं इसमें राख केसे आ गई।
पंडिताइन अब जरा सोच में पड़ गई की मेरे पीहर में ऐसा भद्दा मजाक कोन कर गया इनके साथ और उन्होंने विस्तार से पंडित जी से उस घटना के बारे में पूछा और उस यजमान के घर का पता भी पूछा।
गांव के मुख्य चौक वाली हवेली का सुनकर पंडिताइन जरा सोच में पड़ गई और सोचने लगी की ऐसा केसे हो सकता हैं उस हवेली में रहने वालो को तो आज तक हमने अपने पूरे जीवन में नही देखा तो आखिर पंडित जी केसे उस घर में पूजा करवा के आ गए।
बचपन में सुना जरूर था की उस हवेली पर आत्माओं का साया हैं परंतु उस घर में रहते हुए तो किसी को नही देखा। पंडित जी ये सब सुनकर थोड़ा सहम से गए और उन्होंने रात में जो कुर्ता पहन रखा था उसकी जेब टटोलने लगे, पंडित जी को ऐसे अपने कुर्ते की जेब टटोलते देखकर उनकी पत्नी ने उनसे फिर से पूछा तो पंडित जी ने बताया की उस हवेली के यजमान ने जो पैसे दक्षिणा में दिए थे वो मेने इस कुर्ते की जेब में रखे थे परंतु अब मिल नही रहे हैं।
पंडित जी ने कुर्ते की जेब की अच्छे से तलाशी ली तो उन्होंने पाया को जिस जेब में उन्होंने यजमान के दिए पैसे रखे थे उस जेब में अब पैसे की जगह पर राख हैं।।
पंडित जी अपने साथ हुई इस अनोखी घटना से थोड़ा आश्चर्यचकित हो गए और इस घटना की हकीकत जानने के लिए अपने ससुराल की ओर निकल पड़े।
आज सबसे पहले वो अपनी पत्नी के साथ अपने ससुराल में पहुंचे और वहां चाय पानी पीते हुए ससुरलवालो को रात को सारी घटना ज्यों को त्यों बता दी, पत्नी के पीहर पक्ष वाले उनकी कहानी सुनकर चौंक गए , उन्होंने पंडित जी को बताया कि वो हवेली तो करीबन 100 सालो से ऐसे ही बंद हैं वहां कोई भी नही रहता हैं और गाहे बगाहे कई बार गांव के लोगो के साथ उस हवेली के आस पास कुछ अजीब सी घटनाएं जरूर हुई हैं।
किसी परालौकिक शक्ति का आभास उस जगह के आस पास होता हैं। पंडित जी को भी अब भी विश्वास नहीं हो रहा था की रात में उन्होंने जो देखा वो सब एक धोखा मात्र था। पंडित जी अपने ससुराल वालो और गांव के कुछ अन्य लोगो के साथ इस हवेली की ओर निकल पड़े हवेली के पास जा कर उन्होंने देखा की रात में जो हवेली रोशनी से जगमगा रही थी उसमे अब चमगादड़ घूम रहे हैं और गांव के आवारा पशुओं के रहने को जगह में तब्दील हो चुकी हैं। पंडित जी अब रात में अपने साथ हुई भूतिया घटना पर विश्वास करने लगे और उन्हें भी अब मानना पड़ा की रात में उन्होंने जो पूजा करवाई थी उनके वो यजमान कोई जीवित इंसान नही थे जबकि भूत थे।
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