कहा जाता हैं की जिंदगी निरंतर चलती रहती हैं परंतु कई बार कुछ ऐसी घटनाएं हो जाती हैं, जिनके कारण इंसान का जीवन किसी कसमकश में फंस जाता हैं।
Real Horror Stories
आज हम आपको जिस सच्ची घटना के बारे में बताने जा रहे हैं उसे सुनकर आपकी रूह कांप जाएगी। गोपनीयता के कारण चरित्र और जगहों के नाम बदल दिए गए हैं।
मध्यप्रदेश के एक छोटे से गांव में रहने वाले एक परिवार के साथ ऐसी विचित्र घटना हुई जिसके कारण उनका जिंदगी जीने का तजुर्बा ही बदल गया।
चरित्रों का वर्णन कुछ इस प्रकार हैं
रामलाल जी। परिवार के मुखिया और सेवानिवृत कर्नल
सुनीता जी रामलाल जी की पत्नी
रमेश बड़ा बेटा
नमिता रमेश की पत्नी
रवीश छोटा बेटा
अंकिता रवीश की पत्नी
रक्षिता रामलाल जी की बेटी
चिरायु रमेश का बेटा
संचिता रमेश की बेटी
रामलाल जी का पूरा परिवार खुशी से अपना जीवन यापन कर रहा था। उनके परिवार में किसी चीज की कोई कमी नहीं थी।रामलाल जी के दोनो बेटे अच्छी कंपनियों में नौकरी कर रहे थे और उनकी बहुएं बहुत सुशील थी।
रामलाल जी और उनकी पत्नी सुनीता जी अपनी बहुओं को बेटियो का प्यार देते थे।
पोते पोतियों के साथ खुशी खुशी उनका जीवन चल रहा था। बच्चे गर्मियों की छुट्टियों में अपनी नानी के घर गए हुए थे और अगले कुछ ही दिनों में उनका स्कूल शुरू होने वाला था वो भी वापिस घर आने वाले थे।
Real Horror Stories In Hindi
रामलाल जी को अगर कोई चिंता थी बस एक और वो थी अपनी बेटी की शादी की चिंता। रामलाल जी की बेटी रक्षिता ने मनोविज्ञान में पोस्ट ग्रेजुएशन की थी और अब वह एक महाविद्यालय में प्रोफेसर की नौकरी कर रही थी।
रक्षिता के लिए एक सभ्य परिवार का रिश्ता ढूंढना ही अब उनका एकमात्र मकसद बचा था। दोनो बेटो को शादी हो चुकी थी और वो अपने परिवार के साथ खुस थे, बस उन्हें भी कहीं ना कहीं अपनी छोटी बहन की शादी की चिंता सताए जा रही थी।
दोनो भाईयो और पिता को रक्षिता के लिए एक अच्छे लड़के की जरूरत थी।
ये जून महीने के अंतिम दिन चल रहे थे और गर्मियों का प्रकोप इस समय कुछ ज्यादा ही था। बच्चे नानी के घर से वापिस आ चुके थे, और 1 जुलाई से उनके स्कूल भी शुरू होने वाले थे। इस बार रमेश ने दोनो बच्चो का प्रवेश एक नामी स्कूल में करवा दिया था। इस स्कूल को रेपुटेशन बहुत ज्यादा थी और यह स्कूल बहुत पुराने समय से चला आ रहा था, जिसे पहले कोई उद्योगपति चलाते थे और अब ये स्कूल एक ट्रस्ट के द्वारा चलाया जा रहा था। इस स्कूल का स्तर आस पास के बाकी स्कूल से बहुत ऊंचा था।
School Ka Bhoot
चिरायु और संचिता का स्कूल अब शुरू हो चुका था और वे लोग भी अब रोज बाकी बच्चो की तरह स्कूल जाने लगे थे। काफी दिनों तक नानी के घर मौज मस्ती करने के बाद स्कूल के वातावरण में खुद को ढालना दोनो बच्चों के लिए अभी थोड़ा मुश्किल वक्त था। उनका बालमन अभी भी मौज मस्ती की तरफ झुका हुआ था। पहला दिन तो दोनो बच्चो के लिए स्कूल में बहुत मुश्किल रहा परंतु धीरे धीरे बच्चे भी पुरानी दिनचर्या की तरफ लौटने लगे।
रामलाल जी और सुनीता जी की दिनचर्या थी की वो दोनो सुबह सूर्योदय से पहले जग जाते थे और अपने नित्यकर्म से निवृत होकर ईश्वर की पूजा पाठ में व्यस्त हो जाते थे।
दोनो बच्चे भी अपना ज्यादा समय दादा दादी के पास ही बिताते थे जिनसे उनका भी मानसिक विकास बहुत जल्दी हो रहा था। रामलाल जी आध्यात्मिक इंसान थे, उनकी माता दुर्गा में गहन आस्था थी, ओर रामलाल जी अपने पत्नी के साथ पिछले कई सालों से साल के दोनो नवरात्रि के उपवास करते आ रहे थे।
चिरायु और संचिता का भी अब नए स्कूल में मन लगने लग गया था और दोनो बच्चे स्कूल में अपने नए दोस्तो के साथ घुल मिल गए थे। चिरायु का क्लासरूम स्कूल को बिल्डिंग के ग्राउंड फ्लोर पर था जबकि संचिता का क्लासरूम तीसरे फ्लोर पर था। दोनो बच्चे पढ़ाई में अच्छे थे इसलिए जल्दी ही अपने शिक्षको के चहेते बन गए थे। स्कूल में हुए पहले टेस्ट में दोनो ही बच्चो ने अच्छे नंबर प्राप्त किए थे जिसके कारण दोनो बच्चो को अपने परिवार से भी बहुत शबासी और उपहार मिले थे जिनसे बच्चों का और ज्यादा पढ़ने का हौसला और ज्यादा बढ़ गया था।
School Me Masti
जुलाई का महीना धीरे धीरे निकल गया और अब तक दोनो बच्चे भी स्कूल में पूरी तरह घुल मिल गए थे और रोज स्कूल जाने लगे थे।
आज 5 अगस्त का दिन था और ये संचिता का जन्मदिन था। संचिता जब सुबह सुबह सोकर उठी तो पूरा परिवार उसे जन्मदिन की बधाइयां देने के लिए उसके कमरे में खड़ा था। संचिता का बालमन अपने परिवार का खुद के प्रति इतना प्यार देखकर खुशी से प्रफ्फुलित हो गया था। संचिता ने सबसे पहले उठकर अपने दादा दादी का आशीर्वाद लिया जिसे देखकर परिवार के लोग अपने संस्कारों पर गर्व महसूस करने लगे। इतनी कम उम्र में बच्ची के बड़ों के प्रति आदर सम्मान को देखकर संचिता के पापा रमेश खुस हो गए और उन्होंने ये बात अपने पिता को कही भी की आपके संस्कारी का फर्क हैं जो आज आपकी पोती इतनी सभ्य हैं। में तो काम के कारण बच्ची को ज्यादा समय नहीं दे पाता परंतु आपकी शिक्षा का ही फर्क हैं की आज दोनो बच्चे इस उम्र से ही आध्यात्मिक होने के साथ साथ पढ़ाई में भी अच्छे थे।
School Ghost
रामलाल जी अपने परिवार की खुसी देखकर मुस्कुराए और बच्ची को आशीर्वाद स्वरूप एक पारी वाली ड्रेस उपहार में दी और स्कूल में आपके दोस्तो को जन्मदिन पर चॉकलेट खिलाने के लिए बहुत सारी चॉकलेट के पैकेट दिए।संचिता खुशी से अपने दादाजी के गले से लिपट गई और दादा भी पोती को प्यार करने लगें।
एक पुरानी कहावत हैं की “मूल से ज्यादा ब्याज प्यारा होता हैं”
ये कहावत रामलाल जी जैसे बुजुर्गो पर बिल्कुल सही साबित होती हैं जिन्हे अपने बच्चे से ज्यादा प्यारे आपके पोते पोतिया लगते हैं। इससे बुजुर्गो को भी अच्छी संगत मिल जाती हैं और बुजुर्गो के साथ रहने से बच्चों का मानसिक विकास भी बहुत अच्छे से हो जाता हैं।
संचिता और चिरायु अब संचिता का जन्मदिन का केक काटकर स्कूल जाने के लिए तैयार होने लगे थे, क्योंकि आज संचिता को एक अजीब सी खुशी हो रही थी की वो नए स्कूल में अपने नए दोस्तो के साथ अपना जन्मदिन मनाएगी और आज अपने दोस्तो को खिलाने के लिए उसके दादाजी ने उसको बहुत सी चॉकलेट दी थी।
संचिता ने आज अपने दादाजी द्वारा दी गई नई ड्रेस पहनी थी और दोनों बच्चे अब स्कूल के लिए निकल चुके थे। बच्चो के स्कूल से निकलने के बाद में घरवाले आज संचिता के जन्मदिन को और खास मनाने के लिए शाम को घर में एक छोटी सी पूजा और प्रसाद रखा था।
इधर दोनो बच्चे अब स्कूल आ चुके थे। स्कूल पहुंचते ही संचिता को उसके दोस्तों से जन्मदिन की बधाइयां मिलना शुरू हो चुकी थी। परी वाली ड्रेस में आज संचिता भी बिल्कुल छोटी सी एक परी ही लग रही थी। सुबह की प्रार्थना के बाद कक्षा में जाते ही जन्मदिन की बधाइयां देने वालों का तांता सा लग गया था संचिता के सामने, संचिता को लगभग क्लास के सभी साथियों ने जन्मदिन की बधाई दी जिससे संचिता का बालमन खुशी से झूम उठा।
The Old School 🏫 Building Ghost 👻
कक्षा शुरू हो चुकी थी और बच्चे अपनी पढ़ाई में व्यस्त हो गए। संचिता का स्कूल में आज का दिन बहुत अच्छा जा रहा था। उसके सभी शिक्षको और साथियों ने उसके जन्म दिन पर बधाइयां देकर उसे खुस कर दिया था।
स्कूल के इंटरवल के बाद संचिता अपनी क्लास में जा रही थी, तभी उसे ध्यान आया की उसकी पानी की बॉटल में पानी खत्म हो चुका हैं। संचिता पानी लेने के लिए वाटर कूलर की तरफ जाने लगी। स्कूल के खेल मैदान से पानी लेने जाने के लिए संचिता को 10 मिनट का टाइम लगना था।
वाटर कूलर के पास जा के संचिता ने अपनी पानी की बॉटल भरी और अपनी क्लास के तरफ जाने लगी।
संचिता का क्लासरूम ऊपर होने के कारण उसे सीढ़ियों से अकेले जाना था, संचिता जल्दी जल्दी आपके नन्हे कदम अपनी क्लास की तरफ बढ़ान
लगी।
Ghost In Stairs
संचिता को ऐसा लगा जैसे उसके सर में अचानक से बहुत तेज दर्द हुआ वो उसे अपना सर भारी भारी सा लगा, और वो जल्दी से अपनी कक्षा में आ गई।
क्लासरूम में शिक्षक आ चुके थे और पढ़ान शुरू कर चुके थे, जब उन्होंने संचिता को क्लास में लेट आते देखा तो उन्हें भी थोड़ा आश्चर्य सा हुआ की संचिता जेसी होनहार बच्ची जो हमेशा क्लास में समय पर मिलती हैं आज लेट केसे हो गई।
शिक्षक ने सोचा की हो सकता हैं बच्ची का जन्मदिन हैं तो सहेलियों के साथ लग गई होगी।
सर ने संचिता को जन्मदिन की बधाई दे और उसे क्लास में अंदर बुला लिया।
संचिता का मन अजीब सा हो रखा था उसके सर में बहुत तेज दर्द हो रहा था। धीरे धीरे समय बीतता गया और स्कूल का समय भी अब पूरा हो चुका था।
स्कूल की छुट्टी होने के बाद में दोनो बच्चे अपने घर के लिए स्कूल बस से निकल पड़ें। चिरायु ने जब अपनी बहन का उतरा हुआ चेहरा देखा तो उसने पूछा भी कि दीदी क्या हुआ आपको??
आप सुबह बहुत खुश थी परंतु अभी थोड़ा अजीब सी हो गई ही,
संचिता ने बताया की उसे सर में दर्द हो रहा हैं।
दोनो बच्चे अब स्कूल से घर आ चुके थे और संचिता अपने कमरे में जा के सीधे सो गई।
संचिता की बुआ रक्षिता आज घर मे ही थी उसने जब जन्मदिन के दिन अपनी भतीजी को ऐसे उदास देखा तो उससे रहा नही गया और वह सीधे संचिता के रूम में चली गई।
Ghost Captured Human Body
संचिता अपने कमरे में सो रही थी और नींद ही नींद ने कुछ बुदबुदा रही थी। रक्षिता ने संचिता को कंधे से पकड़कर हिलाया और उसे जगाया, संचिता के आंखे लाल हो रखी थी और वह अपनी आंखे मसलने लगी, क्या हुआ बुआ??
रक्षिता तुम आज इतनी परेशान क्यों हो और ये तुम्हारी आंखे लाल क्यों हो रखी हैं??
संचिता – मेरे सर में दर्द हो रहा हैं आज दिन से बूआ और में बहुत ज्यादा थक चुकी हूं, आंखों में भी जलन सी हो रही हैं।
रक्षिता – चलो तुम सो जाओ, थक गई होगी।
रक्षिता बाहर आई संचिता के रूम से ओर घरवालों को बताया कि वो सो गई हैं और अब हम रात की पार्टी की तैयारी कर सकते हैं।
रक्षिता ने संचिता ने सारे दोस्तों और उनके मातापिता को शाम को अपने घर पार्टी में बुलाया जो संचिता के जन्मदिन के कारण रखी थी।
बाहर से एक सजावट करने वाले को बुलाया गया और घर को सजाया गया। हलवाई को बुलाकर रात को खाने को व्यवस्था की गई।
शाम के करीबन 6 बज चुके थे और अब सुनीता जी संचिता के रूम में उसके लिए कुछ खाने को लेकर गई।
संचिता नींद ही नींद में बुदबुदा रही थी, सुनीता जी को संचिता का ये व्यवहार थोड़ा अजीब सा लगा, उन्होंने पास जाकर सुनना चाहा की संचिता क्या कह रही हैं तो वो चुप हो गई।
सुनीता जी वहीं पास में ही खड़ी हो गई और इंतजार करने लगी की संचिता कुछ बोले परंतु तभी सुनीता जी देखती हैं की संचिता एक अजीब से अवस्था के साथ नींद से उठती हैं और उसके बाल पूरे बिखर चुके थे, ओर अजीब सी आवाज उसके मुंह से निकली,
सुनीता जी ने उसके सर पर हाथ फेरा और बोली उठ गई मेरी बच्ची??
तबियत कैसी हैं अब?? सर में दर्द हैं अभी भी या नही??
संचिता – नही दादी अभी ठीक हूं।
सुनीता जी – तुम अभी क्या बोल रही थी उठने से पहले
संचिता- में तो सो रही थी, मुझे नहीं पता।
सुनीता जी – ठीक हैं, तुम जल्दी से हाथ मुंह धोकर आओ और कुछ खा लो सुबह से तुमने कुछ खाया भी नही हैं ।
संचिता ठीक हैं दादी में आती हूं हाथ मुंह धो के
करीबन 10 मिनट बाद संचिता बाथरूम से आई और दादी का लाया हुआ दूध और मिठाई खाने लगी।
सुनीता जी उसे खाना खिलाकर बाहर चली गईं।
रक्षिता और चिरायु अब संचिता के रूम में आ चुके थे और अब वे तीनों गेम खेलने लगे थे।
क्रमश: …..
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