Real Horror Stories के अगले क्रम में हम आपके लिए आज लेकर आए हैं एक नई और सच्ची डर से भरी हुई कहानी। यह घटना भारत के अत्याधुनिक Highway (यमुना एक्सप्रेस) Yamuna Expressway पर गुजरात के रहने वाले कुछ लोगों के साथ घटी थी।
यह घटना आज से 3 साल पहले की है। जिस समय इस रास्ते पर यह घटना घटी थी, उस समय उस गाड़ी में 2 लोग सवार थे परंतु इस घटना के बाद उनमें से केवल एक व्यक्ति ही जिंदा बच पाया था, आगे की कहानी हम उन्हीं के नजरिए से जानने की कोशिश करते हैं।
Real Horror Stories Highway
नमस्कार दोस्तों मेरा नाम हरीश भाई पटेल है और मैं गुजरात के वडोदरा का रहने वाला हूं। यह घटना आज से करीबन 3 साल पहले मेरे और मेरे दोस्त के साथ घटी थी। जब हम दोनों गुजरात से घूमने के लिए साथ में निकले थे। हम हमारे निजी वाहन के अंदर घूमने के लिए भारतवर्ष की कई जगह पर जाने के लिए घर से निकले थे परंतु हमें क्या पता था कि हमारा यह भ्रमण हमें एक दूसरे से ही अलग कर देगा।
मैं और मेरा दोस्त मनोज भाई पटेल हम दोनों बचपन से ही साथ रहे हैं। हमारा घर एक ही Society के अंदर आसपास में था। बचपन से ही मैंने देखा था कि मेरे पिताजी और मनोज के पिताजी में बहुत ही अच्छे संबंध थे। हमारे दोनों परिवार के परिवारिक संबंध हुआ करते थे।
इन्हीं संबंधों की वजह से मेरी और मनोज की दोस्ती बचपन में ही हो गई थी। हम दोनों ने एक ही School से पढ़ाई की थी और एक ही कॉलेज से हम साथ में पढ़ाई करके निकले थे। हम दोनों ने एक साथ ही गुजरात के अंदर Partnership में कपड़ों का व्यापार शुरू किया था।
हम दोनों के साथ और हमारी मेहनत के कारण वह व्यापार भी चल पड़ा।
हमें अच्छी खासी Income हमारे Business हो जाती थी। हम दोनों के बीच व्यापार के कारण कभी भी कोई लड़ाई झगड़े नहीं हुए कभी भी, बहुत से लोगों ने हम दोनों का आपस में लड़ाने की कई बार कोशिश की थी परंतु वे कभी भी कामयाब नहीं हो पाए थे।
यह नवंबर का महीना था और अचानक से 1 दिन मनोज ने मुझसे कहा कि “यार भाई कई दिन हो गए हैं कहीं पर हम दोनों घूमने के लिए नहीं गए, इस बार दिसंबर के अंदर ही हम दोनों भारत की कई अच्छी अच्छी जगह पर घूमने के लिए जाएंगे” मैने भी उसे घूमने चलने के लिए हां कर दी।
दक्षिण भारत और उत्तर प्रदेश हमारी लिस्ट में प्रथम थे दक्षिण भारत और उत्तर प्रदेश के अंदर भारतीय सनातन सभ्यता के कई नमूने मौजूद हैं जिन्हें मुगलों ने परिवर्तित करने की कोशिश की परंतु वे उसमें पूर्ण रूप से कभी कामयाब नहीं हो पाए थे।
आज भी उनके अवशेष उसकी कहानी बयान कर देते हैं कि यह कोई मुगल स्थापत्य कला का प्रतीक नही हैं बल्कि भारतीय प्राचीन कारीगरों की स्थापत्य कला का नमूना था। हम दोनों दिसंबर के First Week के अंदर गुजरात से घूमने के लिए निकल पड़े।
दक्षिण भारत के अंदर करीबन 20 दिन का समय बिताने के बाद हमने वहां की सुंदर वादियों और प्रख्यात हिंदू मंदिरों का भ्रमण किया।
Horror Stories in Hindi
इन मंदिरों के अंदर जाकर मन को बहुत शांति मिलती है। दक्षिण भारत में घूमने के बाद हमने सबसे पहले उत्तर प्रदेश के आगरा जाने का मन बनाया, जिसके लिए हमें पहले दिल्ली भी जाना था। दिल्ली के लाल किला, अक्षरधाम और पुराने किले जैसी कई ऐतिहासिक जगह पर जाकर उनका भ्रमण करने की इच्छा हम दोनों के मन में ही थी।
हमने दिल्ली के अंदर करीबन 4 दिन बताएं और वहां की सुंदर कलाकृतियों का आनंद अपनी आंखों से लेकर हमने आगरा के लिए प्रस्थान किया।
दिल्ली से आगरा जाने के लिए Yamuna Expressway सबसे सुगम रास्ता है, जिससे हमारे समय की भी बचत होती और गाड़ी के अंदर Fuel की भी।
हम दिल्ली से आगरा के लिए निकल पड़े यह रात का समय था और रास्ता भी करीबन 4 घंटे से ज्यादा का था। दिल्ली से बाहर निकलते ही हमने सबसे पहले कुछ खाया पिया और चाय पी कर यमुना एक्सप्रेस वे के लिए आगरा की तरफ निकल पड़े।
यमुना एक्सप्रेसवे में चलते हुए हमे अभी आधा घंटा भी नहीं हुआ था कि हमे कुछ अजीब सा महसूस हुआ। हमे बार-बार ऐसे लग रहा था कि कोई हमारी गाड़ी के ऊपर बैठा है और जोर-जोर से गाड़ी के ऊपर कूद रहा है
इस रास्ते के ऊपर हमने हुए पहले भी कई बार तस्दीक की थी जिसमें सुनने में आया था कि इस रास्ते के ऊपर तो लुटेरों का आतंक बहुत ज्यादा है, जो रात के समय में गाड़ी वालों को लूट लेते हैं, अचानक से मनोज ने गाड़ी के Back Mirror में देख कर कहा कि भाई पीछे की सीट पर कौन बैठा हुआ है?? मैं उसकी बात सुनकर थोड़ा हैरान रह गया। मैंने पीछे घूम कर देखा तो गाड़ी की पिछली सीट पर हमारे सामान के अलावा कोई भी नहीं था।
मैंने उससे कहा कि शायद तुम्हारे नींद का नशा हो गया है इसलिए तुम्हें अजीब सी चीजें दिखाई दे रही हैं, थोड़ी दूर गाड़ी मैं चला लेता हूं, परंतु उसने कहा कि नहीं ऐसी कोई बात नहीं है मैंने अभी पीछे की सीट पर किसी को बैठे हुए देखा और आईने में उसकी शक्ल साफ-साफ दिख रही थी। यह मेरा कोई वहम नहीं है तुम तो मुझे बचपन से जानते हो, मेरे साथ कभी ऐसा कुछ हुआ है??
मैं भी आखिर सोच में पड़ गया कि ऐसा तो पहले कभी भी मनोज ने मुझे कुछ नहीं बताया या मैंने कुछ महसूस नहीं किया जबकि हम बचपन से ही साथ में है।
हम दोनों बातें करते-करते फिर से रास्ते पर आगे निकल पड़े। हमें अंदाजा भी नहीं था कि आज हमारे साथ क्या होने वाला है??
मुझे थोड़ी देर बाद ऐसे महसूस हुआ कि किसी ने सीट के पीछे से मेरे कंधे पर हाथ रखा है। हम दोनों तो आगे की सीट पर बैठे हुए हैं तो फिर पीछे से किसने मेरे कंधे को स्पर्श किया?? मैंने पीछे घूम कर देखा तो फिर से वहां पर कोई भी नहीं था।
मनोज ने मुझसे पूछा कि क्या तुम्हें भी कुछ महसूस हुआ?? तो मैंने उसे बताया कि हां मुझे ऐसा महसूस हुआ कि किसी ने मुझे पीछे से स्पर्श किया हो कंधे के ऊपर।
हम दोनों थोड़ा सा चिंतित तो जरूर थे पर डरे हुए नहीं थे क्योंकि ऐसा कई बार ज्यादा नींद के कारण भी हो जाता है, थोड़ी देर में उसने फिर से पीछे देख कर गाड़ी को अचानक से ब्रेक लगाए और इस बार जब मैंने भी पीछे की तरफ घूम कर देखा तो वहां पर सच में कोई इंसान बैठा हुआ था परंतु अचानक से ही वह व्यक्ति हमारी आंखों के सामने से ही गायब हो गया।
मुझे देख कर बड़ा आश्चर्य हुआ कि यह इंसान जो अभी-अभी गाड़ी के अंदर बैठा हुआ था, वह अचानक से बिना गाड़ी के गेट खुले हुए कहां पर चला गया?? और वह गाड़ी में आखिर अंदर आया तो कैसे आया??
हमने इन सभी घटनाओं को नजरअंदाज करते हुए अपना सफर जारी रखा। हमें वहां से निकले हुए करीबन 20 मिनट भी नहीं हुए थे कि रास्ते में अचानक से वही व्यक्ति जो पीछे की सीट पर बैठा हुआ था वह सामने आ गया और हमें अचानक से गाड़ी के ब्रेक लगाने पड़े।
हमने जब गाड़ी से बाहर निकल कर देखा तो वह व्यक्ति वहां पर कहीं पर भी आसपास में नहीं था परंतु दूर सड़क के दूसरी ओर से झाड़ियों से कुछ आवाज आ रही थी।
जब हमने वहां पर देखा तो वही व्यक्ति वहां पर चल रहा था। हमने उस जगह से निकलना ही बेहतर समझा और वापस आकर अपने गाड़ी में बैठ कर आगे की तरफ निकल पड़े।
इस बार गाड़ी मैं चला रहा था। मुझे भी Driving करते हुए कई बार एहसास हुआ कि गाड़ी में पीछे की सीट पर कोई बैठा है या फिर गाड़ी के छत के ऊपर कोई उछल कूद कर रहा है, हो सकता है कोई बुरी शक्ति ऐसा कर रही हो और हम हनुमान जी को याद करते हुए अपने सफर पर आगे की ओर चलते रहे।
What Was That on Back Seat in Moving Car??
थोड़ी देर में अचानक से मेरी नजर गाड़ी में लगे Back Mirror पर पड़ी, तो देखने से पता चला कि वहां पर कोई बैठा हुआ है।
इस बार मैं बहुत ज्यादा सोच में पड़ गया था कि आखिर बार-बार यह व्यक्ति हमारी गाड़ी के अंदर आ केसे रहा है?? हमने उस जगह से निकलने में भलाई समझी और चलते चलते हम काफी दूर तक निकल आए थे।
हमारी गाड़ी 130 के रफ्तार में चल रही थी अचानक से थोड़ी देर बाद मेरे दोस्त ने कहा कि मुझे भी इस बार किसी ने पीछे से Touch किया हैं और जब मैंने पीछे मुड़कर देखा तो वहां पर कोई भी नहीं था, ऐसा लगा था की जैसे मेरे कान में कोई कुछ कह रहा हो, मुझे समझ नहीं आया कि वह कहना क्या चाह रहा था??
हम दोनों आपस में बात कर ही रहे थे कि अचानक से हमें जोर की चीख सुनाई दी, जब हमने देखा तो वह चील्लाने की आवाज गाड़ी के अंदर से आई थी परंतु गाड़ी के अंदर कोई भी व्यक्ति नहीं था, तभी गाड़ी के ऊपर से किसी के जोर जोर से कूदने की आवाज आ रही थी।
हमने गाड़ी की Speed फिर से थोड़ी बढ़ा दी और इस बार हम 140 के आसपास की रफ्तार से रास्ते पर आगे चले जा रहे थे, थोड़ी देर बाद मुझे ऐसा लगा कि मेरी गाड़ी की स्टेरिंग को कोई जबरदस्ती इधर-उधर घुमा रहा है और गाड़ी बीच Highway के ऊपर ऐसे Role हो रही थी जैसे कोई सांप चल रहा हो।
मैंने थोड़ी देर गाड़ी रोकी और हनुमान चालीसा का पाठ किया और फिर से गाड़ी को आगे धीरे-धीरे चलाने लगा। इस बार हमने गाड़ी की रफ्तार 100 किलोमीटर प्रति घंटे तक की रखी, थोड़ी देर बाद गाड़ी की स्पीड अचानक से अपने आप बढ़ने लगी और गाड़ी का कंट्रोल भी मेरे हाथ से छूटने लगा। मैंने बहुत कोशिश की परंतु ऐसा लग रहा था कि मेरे हाथों को किसी ने पकड़ लिया हो जोर से, और अन्य कोई व्यक्ति चला रहा हो।
मैंने मेरे दोस्त को कहा भी परंतु मेरे मुंह से कोई आवाज नहीं निकल रही थी और जब मैंने Back Mirror में देखा तो वहां पर वही व्यक्ति बैठा हुआ था और उसका चेहरा अब बहुत ज्यादा भयानक हो चुका था, देखने से पता चल रहा था कि वह एक जले हुए चेहरे वाला व्यक्ति था।
गाड़ी की रफ्तार तेज हो गई थी और मेरे हाथ से गाड़ी का नियंत्रण भी खो चुका था, थोड़ी देर में हमारी कार आगे जा रहे एक ट्रक के अंदर घुस गई।
इसके बाद का मुझे कुछ याद नहीं, जब मुझे होश आया तो मैं आगरा के एक Hospital में था। Doctor ने बताया कि रात को हाईवे के ऊपर से ही आपको Rescue किया गया था, आपके साथ जो व्यक्ति थे उनकी मौत हो चुकी है।
आपके परिजनों को हमने फोन करके बता दिया और वह भी शायद अभी थोड़ी देर में आते ही होंगे। जब हमारा Accident हुआ था तब करीब रात के 1:30 बज रहे थे और जब मुझे होश आया तब दोपहर के 2:00 बज रहे थे,
मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि जिस दोस्त के साथ मैं रात को हंसते खेलते जा रहा था वह अब मेरे साथ नहीं रहा।
मुझे बचपन से लेकर अब तक हम दोनों का साथ बिताया समय एक फिल्म की तरह याद आ रहा था जब हमारे परिजन गुजरात से चलकर आगरा पहुंचे, तब मैंने उन्हें सारी बात बताई की कैसे क्या हुआ था??
हमने बहुत बचाने की कोशिश की थी अपने आपको परंतु पता नहीं वह क्या शक्ति थी जी हमारे पीछे पड़ गई थी, जो बार-बर हमारी गाड़ी को अपने कंट्रोल में ले रही थी।
वहां पर काम करने वाले डॉक्टर ने हमें बताया कि उस रास्ते पर ऐसी घटनाएं अक्सर होती रहती है और आप पहले व्यक्ति नहीं हैं जो ऐसी दुर्घटना का शिकार हुए हो, पहले भी कुछ व्यक्ति जो इन दुर्घटनाओं में बचे हैं उन्होंने भी कुछ ऐसी ही कहानी बताई हैं की वहां पर एक जले हुए चेहरे वाला व्यक्ति उनकी गाड़ी की पिछली सीट पर बैठा हुआ था और अचानक से गाड़ी का नियंत्रण किसी और ने अपने हाथ में ले लिया हो।
वह चाहे जो शक्ति हो, परंतु इस बुरी शक्ति ने मुझसे मेरा दोस्त हमेशा के लिए छीन लिया था। मैं बहुत ज्यादा अंदर से टूट चुका था। मेरे परिजनों ने मुझे भी थोड़ा संभल दिया और मेरे दोस्त के परिवार को भी संभाला।
अब उसके बच्चों की भी जिम्मेदारी मुझे अपने ऊपर ही लेनी थी, क्योंकि हम दोनों थे तो दोस्त परंतु हमारा रिश्ता सगे भाइयों से भी बढ़कर था।
आज इस घटना को 3 साल का समय बीत चुका है। मेरे दोस्त मनोज का बेटा भी अब एक Army Officer बन चुका है, परंतु आज तक वह काली रात मुझे भुलाए नहीं भूलती। उस रात को जो दुर्घटना हुई थी वह जब भी मुझे याद आती है तो मेरे रोंगटे खड़े हो जाते हैं।
आप भी जब रात को ऐसे किसी Highway के ऊपर सफर करें तो थोड़ा ध्यान से करें, अगर ऐसी कोई घटना आपके साथ हो रही हो तो कृपया अपनी गाड़ी को रोक ले और खड़े हो जाएं और बालाजी की पूजा पाठ करें।
शायद मेरी मौत इसीलिए नहीं हुई क्योंकि उस समय पर मैं भी हनुमान चालीसा का पाठ कर रहा था।
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