जले हुए घर की सच्चाई
शुरुआत: एक जिज्ञासु छात्र
यह कहानी है अमित की, एक 21 साल के इंजीनियरिंग छात्र की, जो दिल्ली के एक प्रसिद्ध इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ाई कर रहा था। अमित का स्वभाव साहसी और जिज्ञासु था। उसे पुरानी इमारतों और उनके पीछे छिपे रहस्यों का शौक था। कॉलेज का हॉस्टल शहर के बाहरी इलाके में स्थित था, जहाँ चारों ओर जंगल फैला हुआ था। उस जंगल के बीचों-बीच एक पुराना जला हुआ घर खड़ा था, जिसकी दीवारें कालिख से ढकी हुई थीं और खिड़कियाँ टूटी हुई थीं। हॉस्टल के छात्रों के बीच इस घर के बारे में कई डरावनी कहानियाँ प्रचलित थीं। वे कहते थे कि यह घर भूतों का बसेरा है, और जो भी रात में वहाँ जाता है, वापस नहीं लौटता। कुछ छात्रों ने दावा किया कि उन्होंने रात में वहाँ से चीखें सुनी थीं, जबकि अन्य ने कहा कि उनके दोस्त, जो एक बार वहाँ गए थे, कभी हॉस्टल नहीं लौटे।

अमित को इन कहानियों पर भरोसा नहीं था। वह सोचता था कि यह सब अंधविश्वास है। लेकिन उसकी जिज्ञासा उसे बार-बार उस घर की ओर खींचती थी। एक ठंडी नवंबर की रात, जब चाँद आकाश में लाल रंग लिए हुए था और हवा में एक अजीब सी ठंडक थी, उसने फैसला किया कि वह उस घर को एक्सप्लोर करेगा। उसने अपने दोस्तों को इस बारे में नहीं बताया, क्योंकि वह जानता था कि वे उसे मना करेंगे या हँसी उड़ाएंगे। उस रात को वह अपने कमरे में बैठा, अपने बैग में एक टॉर्च, एक नोटबुक, एक मोबाइल कैमरा, और एक पानी की बोतल रखी। उसने अपने मन को मजबूत किया और सोचा, “मैं यह साबित कर दूंगा कि ये सब बकवास है।” रात के 10 बजे, जब हॉस्टल के सारे छात्र सो गए, वह चुपचाप पीछे के गेट से निकल गया।
घर की खतरनाक पृष्ठभूमि
इस जले हुए घर की कहानी 1985 की है, जब यह घर शर्मा परिवार का था। परिवार में रवि शर्मा, उनकी पत्नी मीना, उनके दो बच्चे—8 साल का अर्जुन और 5 साल की अंजलि—और एक नौकरानी कमला रहती थी। रवि शर्मा एक धनी लेकिन सनकी व्यक्ति था, जो काले जादू और तंत्र-मंत्र में गहराई से विश्वास करता था। ग्रामीणों का कहना था कि उसने एक पुस्तक खरीदी थी, जो किसी बंगाली तांत्रिक से मिली थी, जिसमें अमर होने का मंत्र लिखा था। उसने फैसला किया कि अपने परिवार को बलि चढ़ाकर वह अमरता प्राप्त कर लेगा।
एक रात, जब चाँदनी रात थी, रवि ने अपने पूजा कक्ष में एक अनुष्ठान शुरू किया। उसने अपनी पत्नी और बच्चों को बाँध दिया और नौकरानी को भी शामिल किया। उसने मंत्र पढ़ना शुरू किया, लेकिन कुछ गलत हो गया। अनुष्ठान के दौरान उसने गलती से एक दीपक उलट दिया, और आग पूरे कमरे में फैल गई। आग इतनी तेज थी कि कुछ ही मिनटों में घर की लकड़ी की छत और फर्नीचर जलकर राख हो गए। रवि, उसका परिवार, और नौकरानी उस आग में जलकर मर गए। अगले दिन जब ग्रामीणों ने आग बुझाई, तो उन्होंने चारों ओर बिखरी हड्डियाँ और एक अधजला काला किताब पाया।
लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं होती। ग्रामीणों ने दावा किया कि रवि की आत्मा शांत नहीं हुई। वह अपने परिवार की आत्माओं को अपने कब्जे में रखता था और रात में घर के आसपास भटकता था। 1986 में, कुछ साहसी युवकों ने इस घर को लूटने की कोशिश की। वे अंदर गए, लेकिन अगली सुबह केवल उनके जूते और खून के धब्बे मिले। इसके बाद, स्थानीय प्रशासन ने इस घर को सील कर दिया और इसे “नरक का मकान” कहकर पुकारा। लोग कहते थे कि रात में वहाँ से बच्चों की चीखें और एक पुरुष की हँसी सुनाई देती है।
रात का सफर: अमित का निर्णय
जंगल में कदम रखते ही अमित को एक अजीब सी बदबू महसूस हुई—जैसे जली हुई लकड़ी और सड़े हुए मांस की गंध। हवा ठंडी थी, और पेड़ों की शाखाएँ मानो उसे घूर रही थीं। उसने अपने कदम तेज किए और अपने मन को शांत करने की कोशिश की। 45 मिनट की पैदल यात्रा के बाद वह उस जले हुए घर के सामने पहुँच गया। घर की दीवारें कालिख से ढकी हुई थीं, खिड़कियाँ टूटी हुई थीं, और दरवाजा आधा टूटा हुआ था। दरवाजे पर एक पुराना ताला लटका था, लेकिन वह पहले ही टूट चुका था। अमित ने अपने कैमरे को ऑन किया और नोटबुक में लिखा, “11:30 PM – घर के सामने हूँ, डरावना लग रहा है, लेकिन आगे बढ़ रहा हूँ।”
डरावना अनुभव: घर के अंदर
जैसे ही अमित ने घर में कदम रखा, उसकी टॉर्च की रोशनी कमरे में फैली। फर्श पर राख और जली हुई लकड़ियाँ बिखरी थीं। दीवारों पर खून जैसे निशान थे, जो मानो किसी ने उंगलियों से बनाए हों। उसने नोटबुक में लिखा, “11:35 PM – अंदर आया, सब कुछ डरावना और पुराना।” तभी उसे एक कदमों की आहट सुनाई दी। उसने सोचा कि शायद हवा का खेल है, लेकिन जब उसने पीछे मुड़कर देखा, तो वहाँ कोई नहीं था। अचानक, उसकी टॉर्च झिलमिलाने लगी और बुझ गई। अंधेरे में उसने अपने कैमरे का फ्लैश ऑन किया और चारों ओर देखा। एक कोने में एक जली हुई मेज थी, जिस पर एक पुराना दर्पण रखा था। जैसे ही उसने दर्पण की ओर देखा, उसमें उसकी परछाई के बजाय एक साया दिखाई दिया—एक पुरुष, जिसका चेहरा आधा जला हुआ था और आँखें गुस्से से लाल थीं। यह रवि शर्मा था।
अमित का दिल जोर-जोर से धड़कने लगा। उसने कैमरे से फोटो खींची। जब उसने फोटो देखी, तो उसमें कई धुंधली आकृतियाँ दिखाई दीं—एक महिला, दो बच्चे, और एक नौकरानी, जो उसकी ओर हाथ बढ़ाए हुए थे। वह डर से काँपने लगा, लेकिन उसने खुद को संभाला और सोचा, “यह सब मेरे दिमाग का खेल है।” तभी कमरे में एक ठंडी हवा चली, और दीवारों से राख नीचे गिरने लगी। उसे बच्चों की चीखें सुनाई देने लगीं, जो मानो उसे घेर रही थीं। उसने अपने बैग से पानी की बोतल निकाली और उसे फेंककर भागने की कोशिश की, लेकिन दरवाजा अपने आप बंद हो गया।
हॉरर का चरम: आत्माओं का हमला
कमरे में अंधेरा और गहरा गया। अमित ने अपने मोबाइल से टॉर्च चालू की, लेकिन उसका फोन अचानक बंद हो गया। तभी उसने एक ठंडी साँस अपने गले पर महसूस की। उसने पीछे मुड़कर देखा, लेकिन वहाँ कोई नहीं था। अचानक, दीवारों से खून की बूंदें टपकने लगीं, और कमरे में बच्चों की चीखें तेज हो गईं। यह रवि शर्मा के मृत बच्चों—अर्जुन और अंजलि—की आत्माएँ थीं, जो उसे घेर रही थीं। उसने कैमरे से वीडियो रिकॉर्ड करना शुरू किया, और वीडियो में सफेद आकृतियाँ दिखाई दीं, जो उसके चारों ओर नाच रही थीं। तभी एक आवाज़ गूंजी, “तू यहाँ से नहीं जाएगा। यह मेरा घर है।” यह रवि शर्मा की आवाज़ थी, जो हवा में फैल रही थी।
अमित ने अपने बैग से एक छोटी सी तावीज़ निकाली, जो उसकी दादी ने दी थी। उसने उसे पकड़कर प्रार्थना शुरू की, “हे भगवान, मुझे बचाओ।” तभी कमरे में एक तेज हवा चली, और आकृतियाँ पीछे हटने लगीं। लेकिन रवि शर्मा की आत्मा ने उसे छोड़ने से इनकार कर दिया। उसने अमित के कानों में फुसफुसाया, “तू मेरे परिवार को जला देगा।” अमित ने पूरी ताकत से दरवाजा तोड़ा और जंगल की ओर भागा। हर कदम पर उसे अपने पीछे कदमों की आहट और बच्चों की हँसी सुनाई दे रही थी।
बचाव की कोशिश: जिंदगी और मौत का संघर्ष
जंगल में भागते हुए अमित का दम घुटने लगा। उसकी टाँगें काँप रही थीं, लेकिन डर ने उसे दौड़ाए रखा। पीछे से एक ठंडी हवा और तेज हो गई, और उसे लगा कि कोई उसका पीछा कर रहा है। उसने पीछे मुड़कर देखा, और एक पल के लिए उसे एक जली हुई आकृति दिखाई दी, जो उसकी ओर हाथ बढ़ा रही थी। उसने अपनी आँखें बंद की और दौड़ता रहा। सुबह के उजाले में वह हॉस्टल के गेट पर पहुँच गया। उसका चेहरा पीला पड़ गया था, कपड़े गंदले हो गए थे, और उसकी आँखों में डर साफ झलक रहा था।
हॉस्टल पहुँचकर उसने अपने दोस्त राहुल को सब कुछ बताया। राहुल ने उसका कैमरा लिया और वीडियो देखा। वीडियो में रवि शर्मा की लाल आँखें, बच्चों की चीखें, और एक महिला की हँसी साफ सुनाई दे रही थी। राहुल डर गया और बोला, “तुझे वहाँ नहीं जाना चाहिए था।” अमित ने फैसला किया कि वह इस घटना को भूल जाएगा, लेकिन अगली रात से उसे सपनों में वही दृश्य दिखाई देने लगे।
अंत: एक अनसुलझा रहस्य
कुछ दिनों बाद, अमित की हालत बिगड़ने लगी। वह रात में चीखता था, और उसकी नींद में उसे बच्चों की आवाजें सुनाई देती थीं। हॉस्टल के अन्य छात्रों ने भी अजीब अनुभव बताए—कभी-कभी रात में उनके कमरों में ठंडी हवा चलती थी, और खिड़कियाँ अपने आप खुल जाती थीं। कुछ छात्रों ने दावा किया कि उन्होंने जंगल से आती हँसी सुनी। क्या रवि शर्मा की आत्मा अब हॉस्टल तक पहुँच गई थी? क्या अमित उस घर से पूरी तरह बच पाया था? यह रहस्य आज भी अनसुलझा है। स्थानीय लोग कहते हैं कि उस जले हुए घर में अभी भी आत्माएँ भटकती हैं, और जो वहाँ जाता है, वह कभी शांत नहीं रह पाता।